भारत के प्रमुख डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) से फरवरी में 4.53 अरब लेन-देन हुए, जिसकी कुल राशि 8,27 लाख करोड़ रुपये है। भारत में खुदरा भुगतान के शीर्ष संगठन भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के आंकड़ों के मुताबिक यह जनवरी में हुए रिकॉर्ड 8.32 लाख करोड़ रुपये के 4.61 अरब लेनदेन की तुलना में कम है।
मात्रा व मूल्य दोनों हिसाब से कम लेनदेन की एक वजह यह है कि फरवरी महीने में कुछ कम दिन होते हैं। अगर पिछले साल फरवरी से तुलना करें तो यूपीआई लेनदेन की मात्रा में 97 प्रतिशत और मूल्य में 94 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।
महामारी की दूसरी लहर की वजह से पिछले साल मई में लेनदेन में गिरावट के बाद यूपीआई से लेनदेन में उसके बाद बढ़ोतरी हुई है। यह आर्थिक रिकवरी और देश में डिजिटल भुगतान की बढ़ी स्वीकार्यता की वजह से हो पाया है। वित्त वर्ष 22 में अब तक यूपीआई से 40.49 अरब लेनदेन हुआ, जिसका मूल्य 74.51 लाख करोड़ रुपये है। यह वित्त वर्ष 21 की समान अवधि में मात्रा के हिसाब से हुए लेनदेन की तुलना में दोगुना है, जिससे देश में डिजिटल भुगतान खासकर यूपीआई की स्वीकार्यता का पता चलता है। वित्त वर्ष में अभी एक महीने बचे हैं, और एनपीसीआई के सीईओ द्वारा वित्त वर्ष 22 में 40 अरब से ऊपर लेनदेन का रखा गया लक्ष्य पार हो चुका है। कैलेंडर वर्ष 21 में यूपीआई से 38 अरब से ज्यादा लेनदेन हुए थे, जिनकी कुल राशि 71.59 लाख करोड़ रुपये थे।
एनपीसीआई ने खुद ही यूपीआई के माध्यम से अगले 3 से 5 साल में रोजाना 1 अरब लेनदेन का लक्ष्य रखा है। एनपीसीआई के सीईओ दिलीप असबे ने कहा था, ‘अगले 3 से 5 साल में 1 अरब लेनदेन का मील का पत्थर हासिल करने के लिए यह जरूरी है कि जीरो अप्रोच अपनाया जाए, जिसमें जीरो टच (संपर्करहित), जीरो टाइम (नकदी लेनदेन से कम वक्त) और जीरो कॉस्ट (ग्राहक पर) शामिल है।’
एक और लोकप्रिय प्लेटफॉर्म इमीडिएट पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस) के माध्यम से फरवरी में 4209.3 लाख ट्रांजैक्शन हुए हैं, जिसकी कुल राशि 3.84 लाख करोड़ रुपये है। इससे लेन देन में मात्रा के हिसाब से 4.37 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से 0.77 प्रतिशत की कमी आई है। इसके अलावा फास्टैग के माध्यम से टोल संग्रहमें रिकॉर्ड उच्च स्तर पर 3,631.22 करोड़ रुपये का 24.364 करोड़ ट्रांजैक्शन हुआ है।
