अमेरिका में चल रहे सबप्राइम संकट की मार से देश का सबसे बड़ा बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भी नहीं बच पाया।
उसे न सिर्फ विदेशी बाजार में निवेश से नुकसान उठाना पड़ा है बल्कि उसके ग्राहकों को भी विदेशी मुद्रा आधारित डेरीवेटिव सौदों में तकरीबन 700 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।
बैंक के चेयरमैन ओ. पी. भट्ट ने यह जानकारी देते हुए बताया कि सबप्राइम संकट की वजह से बाजार निवेश में हुए घाटे की भरपाई के लिए बैंक 40 करोड़ रुपये की व्यवस्था करेगा। उन्होंने कहा कि डेरिवेटिव्स सौदों में बैंक के ग्राहकों को भी तकरीबन 700 करोड़ रुपये (175 मिलियन डॉलर) का घाटा होने का अनुमान है।
भट्ट के इस बयान के बाद बंबई स्टॉक एक्सचेंज में एसबीआई के शेयर 2.1 फीसदी लुढ़क गए। यही नहीं,इसका असर आईसीआईसीआई और एचडीएफसी बैंक पर भी पड़ा और उसके शेयरों में क्रमश: 3.2 और 2.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
इससे पहले, ऐक्सिस बैंक ने भी सोमवार को जारी सालाना नतीजों में इस बात का जिक्र किया था कि बैंक को विदेशी डेरिवेटिव्स सौदों में 6.7 अरब रुपये का नुकसान हुआ है। बहरहाल, भट्ट का मानना है कि अमेरिकी मंदी के कारण स्टेट बैंक को जितना नुकसान होना था, वह हो चुका है। अब भविष्य में उसके निवेश के मूल्य में किसी तरह की गिरावट आने की आशंका नहीं है।
दूसरी ओर, एंजल ब्रोकिंग लिमिटेड के विश्लेषक वैभव अग्रवाल ने बताया कि निजी बैंकों को डेरिवेटिव्स में कहीं ज्यादा घाटा होने का अनुमान है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि प्राइवेट बैंक डेरिवेटिव्स में सरकारी बैंकों की तुलना में कहीं ज्यादा कारोबार करते हैं।
भट्ट ने बताया कि स्टेट बैंक देश का सबसे बड़ा बैंक है और इसके ग्राहकों की संख्या करोड़ों में है, लेकिन डेरिवेटिव्स सौदों में हुए नुकसान को लेकर बैंक के खिलाफ किसी भी ग्राहक की ओर से कोर्ट में कोई मामला दायर नहीं किया गया है। गौरतलब है कि कई बैंकों को डेरिवेटिव्स सौदों में हुए नुकसान की वजह से कानूनी कारवाई का सामना करना पड़ा है।
दरअसल, कुछ भारतीय कंपनियों ने इस मामले को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनका कहना है कि निजी बैंकों ने गलत तरीके से डेरिवेटिव्स में निवेश किया है, जिसकी वजह से उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है।
महंगा होगा दोपहिया लोन
एसबीआई अध्यक्ष भट्ट ने बताया कि दोपहिया वाहन लोन को छोड़कर अन्य क्षेत्रों के लिए लोन पर ब्याज दरें बढ़ाने का बैंक का इरादा नहीं है। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद बीपीएलआर (बेंचमार्क प्रमुख उधारी दर) में भी संशोधन का निर्णय लिया जा सकता है।