अब विदेश में पैसे तुरंत भेजने का सपना जल्द ही पूरा होने वाला है। भारतीय रिजर्व बैंक ऑनलाइन मनी ट्रांसफर पोर्टल जैसी गैर-बैंकिंग कंपनियों केमाध्यम से भारत से बाहर पैसे भेजने की सुविधा देने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।
फिलहाल ये कंपनियां विदेश से भारत में पैसे भेज सकती हैं लेकिन भारत से विदेशों में नहीं। भारत से विदेश में पैसा भेजने की इजाजत सिर्फ बैंकों को ही है।
इस पूरे घटनाक्रम पर नजर रख रहे एक उच्च पदस्थ अधिकारी का कहना है कि कई गैर-बैंकिंग कंपनियों ने आरबीआई से इस सुविधा को शुरू करने की अनुमति मांगी थी।
आरबीआई अभी नो योर कस्टमर योजना पर काम कर रहा है जिससे कि ऑनलाइन वेब पोर्टल के जरिए विदेशों में पैसे भेजने की इजाजत दी जा सके।
आरबीआई के आंकडो के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में 43.1 करोड़ डॉलर भारत से बाहर यानी विदेश भेजे गए जो वित्त वर्ष 2007-08 के 44.05 करोड़ डॉलर के आंकड़े से काफी अधिक है।
मनी ट्रांसफर सर्विस स्कीम (एमटीएसएस) के जरिए निजी पैसे को विदेशों से भारत में अपने ग्राहकों को भेजा जाता है। इस प्रणाली केतहत विदेश में नामी मनी ट्रांसफर कंपनी और भारत में इसके एजेंट के बीच गठजोड़ किया जाएगा ।
जो लाभान्वितों को मौजूदा विनिमय दर पर रकम मुहैया कराएंगे। इस साल अप्रैल केअंत तक करीब 26 भारतीय एजेंट और 11 ओवरसीज प्रिंसिपल थे जो एमटीएसएस केतहत काम कर रहे थे।
सूत्रों का कहना है कि आरबीआई जल्द ही भारत से बाहर पैसा भेजने की सुविधा पर जल्द ही अपनी मुहर लगा सकता है। पैसों का हस्तांतरण करने वाली कंपनियों जैसे वेस्टर्न यूनियन मनी ट्रांसफर, मनीग्राम आदि को भारत से बाहर पैसे भेजने की इजाजत अभी तक नहीं मिली है।
गौरतलब है कि भारत से बाहर भेजे जाने वाले पैसों का ज्यादातर उपयोग विदेश में शेयरों की खरीदारी, संपत्तियों की खरीद या फिर विदेश में शिक्षा और पर्यटन के उद्देश्य से भेजे जाते हैं।
इस सेवा की शुरुआत करने को लेकर गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां इस संबंध में आरबीआई से लगाता र आग्रह क रती आ रही है।