जमा और ऋण वृद्धि के बीच बढ़ते फासले को लेकर फैली चिंताओं के बीच भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के चेयरमैन दिनेश खारा ने शुक्रवार को कहा कि यह देश के सबसे बड़े ऋणदाता के लिए कोई चुनौती नहीं है क्योंकि वह अग्रिमों में वृद्धि का समर्थन करने में सक्षम है।
खारा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि बैंक ऋण वृद्धि का समर्थन करने के लिए जरूरी संसाधन की व्यवस्था करने के लिए सरकारी प्रतिभूतियों में अपने अतिरिक्त निवेश का एक हिस्सा निकाल रहा है। लगभग दो वर्षों से जमा वृद्धि बैंकिंग प्रणाली के लिए ऋण वृद्धि से पीछे चल रही है।
सार्वजनिक क्षेत्र का सबसे बड़ा बैंक SBI भी अपने कारोबार में समान रुझान देख रहा है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह बचत के उच्च उपज वाले पूंजी बाजार विकल्पों में प्रवाह के कारण है, जबकि SBI के अपने शोधकर्ताओं ने इन चिंताओं को ‘सांख्यिकीय मिथक’ कहा है।
इस बारे में पूछे जाने पर SBI चेयरमैन ने कहा, ‘‘हम अपने कर्ज बही-खाते में वृद्धि का अच्छी तरह से समर्थन करने की स्थिति में हैं। जबतक हम ऋण वृद्धि का अच्छी तरह से समर्थन कर सकते हैं, मुझे नहीं लगता कि हमारे सामने कोई चुनौती है।’’
उन्होंने कहा कि बैंक के पास 16 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश है, और ऋण वृद्धि का समर्थन करने के लिए अतिरिक्त वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) का एक हिस्सा हटा रहा है।