सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अपने कर्मचारियों के वेतन योजना में वैरिएबल को भी शामिल करने की योजना बना रहे हैं।
बैंकरों का कहना है कि प्रदर्शन के आधार पर तय किए जाने वाले वेतन मसले पर बैंक यूनियनों से बात की जा रही है। लेकिन इस बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
सूत्रों के मुताबिक, इस योजना का मकसद सार्वजनिक बैंकों में काम करने वाले मध्यम दर्जे के प्रतिभाशाली कर्मचारियों को आगे लाना और उन्हें बेहतर वेतन देना है।
एक बैंक के मुखिया का कहना है कि कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर हम विशेषज्ञों को अपने साथ जोड़ सकते हैं, लेकिन वेतन अंतर की भरपाई को लेकर समस्या आती है।
यही वजह है कि वरिष्ठ अधिकारी निजी क्षेत्र की ओर आकर्षित हो रहे हैं। मौजूदा समय में सार्वजनिक बैंकों में सात वेतनमान लागू हैं।
लेकिन निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में वेतन अंतर की भरपाई अलग-अलग आधार पर की जाती है, जिसमें बहुत ज्यादा असमानता है। कुछ बैंकों में कॉस्ट-टू-कंपनी आधार पर वेतनमान तय किए जाते हैं।
एक बैंकर का कहना है कि हम अपने कर्मचारियों को कई तरह की सुविधाएं मुहैया कराते हैं। इनमें से प्राइम लोकेशन पर मकान देना भी शामिल है, लेकिन कॉस्ट-टू-कंपनी लागू नहीं की जा रही है। एक बैंकर का कहना है कि वरिष्ठ पदों पर निजी क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकारियों के बीच कई बार 20 गुना अंतर होता है।
यही वजह है कि सरकारी बैंकों से लोग निजी बैंक की ओर आकर्षित हो रहे हैं। एक बैंकर का कहना है कि वैरिएबल पे योजना तभी लागू की जाएगी, जब इस प्रस्ताव को बैंक यूनियन स्वीकार कर लेगी। हाल के कुछ सालों में सरकारी बैंकों के चेयरमैन और कार्यकारी निदेशकों का वेतनमान बैंकिंग स्केल से अलग देखा जा रहा है।
यही नहीं, अगर ये अपने लक्ष्य को पूरा करने में सफल होते हैं, तो इन्हें अच्छी-खासी प्रोत्साहन राशि भी मिलती है। लेकिन अन्य कर्मचारियों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाता है।
अगर बैंकर के प्रदर्शन आधारित वेतन प्रस्ताव को यूनियन स्वीकार कर लेती है, तो इससे बहुत से कर्मचारियों के लाभान्वित होने की उम्मीद है।
इस बारे में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक एम.वी. नायर की अध्यक्षता में गठित इंडियन बैंक्स एसोसिएशंस निगोसिएशन कमिटी अगले महीने यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स से बात करेगी।