भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा नीतिगत दरों को यथावत बनाए रखने मगर बैंकिंग तंत्र से अतिरिक्त नकदी खींचने के निर्णय के एक दिन बाद आज रुपये में खासी नरमी देखी गई और डॉलर के मुकाबले यह करीब 18 महीने के निचले स्तर पर आ गया। डॉलर की तुलना में रुपया आज 75.52 पर बंद हुआ, जो 1 जुलाई, 2020 के बाद इसका सबसे निचला स्तर है। उस समय रुपया 75.59 पर बंद हुआ था। बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 75.45 पर बंद हुआ था।
मुद्रा विशेषज्ञों का कहना है कि रुपये पर दबाव बना हुआ है और कुछ का कहना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा नरम मौद्रिक नीति वापस लिए जाने पर यह रिकॉर्ड निचले स्तर से भी नीचे जा सकता है। पिछले साल 22 अप्रैल को कारोबार के दौरान रुपया 76.92 डॉलर के निचले स्तर पर पहुंचा था। क्वांटआर्ट के प्रबंध निदेशक समीर लोढ़ा ने कहा, ‘अमेरिकी फेडरल द्वारा नीतियों को सख्त बनाए जाने के बाद 6 से 7 महीने के अंदर रुपया डॉलर के मुकाबले 78 के पार पहुंच सकता है।’ उन्होंने कहा कि व्यापार घाटे के रिकॉर्ड स्तर पर होने से भी रुपये पर दबाव बढ़ेगा। हालांकि आरबीआई सुनिश्चित करेगा कि मुद्रा संकट की स्थिति पैदा न हो। सभी प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती को मापने वाला डॉलर सूचकांक 0.18 फीसदी बढ़कर 96.06 पर पहुंच गया है। डॉलर के मुकाबले रुपया इस साल अब तक 3.24 फीसदी फिसला है। विदेशी निवेशकों द्वारा शेयर बाजार में बिकवाली किए जाने से भी रुपये पर दबाव बना हुआ है।
उतार-चढ़ाव के बीच बढ़त पर बाजार बंद
शेयर बाजार में लगातार तीसरे दिन दिन तेजी रही और बीएसई सेंसेक्स गुरुवार को 157 अंक की बढ़त के साथ बंद हुआ। उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स में दोपहर के सत्र में तेजी आई और अंत में यह 157.45 अंक चढ़कर 58,807.13 पर बंद हुआ। निफ्टी 47.10 अंक मजबूत होकर 17,516.85 पर बंद हुआ। सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में आईटीसी 4.60 प्रतिशत चढ़कर सर्वाधिक लाभ में रही। इसके अलावा एलऐंडटी, एशियन पेंट्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज, एमऐंडएम बजाज फाइनेंस, डॉ. रेड्डीज और इन्फोसिस में भी तेजी रही। जानकारों का कहना है कि निवेशकों को अमेरिका की महंगाई के आंकड़े की प्रतीक्षा है।
