रुपे को एक और देश में स्वीकृति मिल सकती है। भारत-ओमान संयुक्त आयोग की बैठक (जेसीएम) के जिस 10वें सत्र का समापन हाल में भारत ने किया है उसमें इसे खाड़ी देश के कार्ड नेटवर्क में शामिल करने का प्रस्ताव किया गया था। रुपे का विस्तार अन्य क्षेत्रों में किया जा रहा है और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम ने भी इस कार्ड की स्वीकार्यता का दायरा बढ़ाने के लिए कई करार किए हैं जिसने 2012 में इसकी कल्पना की और इसे शुरू किया था।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने अपने विश्लेषण में पाया है कि घरेलू मोर्चे पर रुपे का प्रदर्शन धीमी रफ्तार में है। रुपे कार्ड के लेनदेन की मात्रा वर्ष 2019-20 और 2021-22 के बीच मुश्किल से 2.4 प्रतिशत बढ़ी। इनमें प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) और ई-कॉमर्स लेनदेन दोनों शामिल थे। कुल मिलाकर, डेबिट कार्ड के उपयोग ने एक समान रुझान को दर्शाया है। रुपे कार्ड का इस्तेमाल करने वाले पीओएस ट्रांजैक्शन में 2.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और यह 2019-20 में 82.2 करोड़ से बढ़कर 2021-22 में 84.3 करोड़ हो गया। रुपे कार्ड का इस्तेमाल करने वाले ई-कॉमर्स लेनदेन में 2.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 2019-20 के 65.8 करोड़ से बढ़कर 2021-22 में 67.2 करोड़ हो गया।
मूल्य के संदर्भ में, रुपे के लेन-देन ने 2021-22 में 40 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की और यह 2.5 लाख करोड़ रुपये हो गया। मूल्य के संदर्भ में देखा जाए तो ई-कॉमर्स लेनदेन तेजी से बढ़ा है और औसत मासिक लेनदेन की मात्रा वर्ष 2019-20 के 5,087 करोड़ रुपये से बढ़कर 2021-22 में 8,049 करोड़ रुपये हो गई और इस तरह इसमें 58.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। पीओएस लेनदेन वर्ष 2019-20 के 9,557 करोड़ रुपये से बढ़कर 2021-22 में 12,393 करोड़ रुपये हो गया।
रुपे के लेनदेन का औसत आकार पिछले पांच वर्षों से बढ़ रहा है। वर्ष 2017-18 में, रुपे कार्ड के पीओएस लेनदेन का दायरा 1,062.4 रुपये था। यह 2021-22 में बढ़कर 1,762.2 रुपये तक बढ़ गया।
ई-कॉमर्स के लिए औसत लेनदेन का आकार इस अवधि में 798.1 रुपये से बढ़कर 1,436 रुपये तक हो गया। सभी डेबिट कार्डों के लिए औसत ट्रांजेक्शन दायरा 2021-22 में 1,963 रुपये और क्रेडिट कार्ड के लिए यह 3,421 रुपये था।
