भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को चुनिंदा गैर-बैंक लेनदारों (एनबीएफसी) व शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए जोखिम आधारित आंतरिक अंकेक्षण की व्यवस्था शुरू की। 5,000 करोड़ रुपये की परिसंपत्ति वाली व जमाएं स्वीकार करने वाली सभी एनबीएफसी और 500 करोड़ रुपये की संपत्ति वाले शहरी सहकारी बैंकों को 31 मार्च, 2022 से इस व्यवस्था को लागू करना होगा।
आरबीआई ने कहा, यह एनबीएफसी व यूसीबी की तरफ से अपनाई जा रही आंतरिक अंकेक्षण की व्यवस्था व प्रक्रियाओं में प्रभावकारिता में इजाफा करेगा।
इन इकाइयों के यहां पहले ही आंतरिक अंकेक्षण की व्यवस्था है लेकिन मोटे तौर पर यह लेनदेन की जांच, शुद्धता की जांच और खाते के रिकॉर्ड व वित्तीय रिपोर्ट की विश्वसनीयता के अलावा कानूनी व नियामकीय जरूरतों आदि पर ध्यान केंद्रित करता है।
चूंकि ये सभी इकाइयां आगे बढ़ी हैं और व्यवस्था के लिहाज से अहम बन गई है, लिहाजा केंद्रीय बैंक ने उधार देने वाली इकाइयों के लिए अलग-अलग अंकेक्षण की व्यवस्था ने अंसगतता, जोखिम व खाई सृजित की है।
हालिया डिफॉल्ट के बाद आरबीआई अब एनबीएफसी व यूसीबी की निगरानी बैंकों की तरह कर रहा है। ये फर्में, खास तौर से एनबीएफसी ने आरबीआई के सरल नियमन देखा है, जिससे वे तेज गति से आगे बढऩे में सक्षम हुई हैं।
आरबीआई ने कहा, चूकि एससीबी, एनबीएफसी और यूसीबी एक तरह के जोखिम का सामना करते हैं क्योंकि वे एक तरह के काम मेंं जुटे हैं, ऐसे में उनके आंतरिक अंकेक्षण की व्यवस्था भी एक जैसी करने की दरकार है।
