भारतीय रिजर्व बैंक मौजूदा चक्र में ब्याज दरों में बढ़ोतरी यानी नीतिगत सख्ती पर अपने कदम रोकने से पहले रीपो दरों में करीब 60 आधार अंकों की बढ़ोतरी कर उसे 6 फीसदी पर पहुंचा सकता है। ये बातें अर्थशास्त्रियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से साझा की है।
10 संस्थानों की राय से पता चलता है कि टर्मिनल रीपो दर 5.98 फीसदी पर पहुंचने का अनुमान है। टर्मिनल रीपो दर का मतलब उस दर से है, जहां केंद्रीय बैंक मौद्रिक सख्ती बंद कर देता है।
ये संस्थान हैं भारतीय स्टेट बैंक, एचडीएफसी बैंक, बार्कलेज, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, येस बैंक, आरबीएल बैंक, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज प्राइमरी डीलरशिप, इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च, क्वांट इको रिसर्च और एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने शुक्रवार को रीपो दर 50 आधार अंक बढ़ाकर 5.40 फीसदी पर पहुंचा दिया। मई 2022 से रीपो दरों में कुल 140 आधार अंकों की बढ़ोतरी हो चुकी है। मौजूदा स्तर पर रीपो दर अगस्त 2019 के बाद के सर्वोच्च स्तर पर है। चूंकि केंद्रीय बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए महंगाई का अनुमान 6.7 फीसदी पर बरकरार रखा है जबकि उसका खुद का आकलन है कि महंगाई सर्वोच्च स्तर पर पहुंच चुकी है, ऐसे में अर्थशास्त्री एकमत हैं कि आगे और सख्ती होने वाली है।
एचडीएफसी बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा, महंगाई को लेकर अभी भी अनिश्चितता है। साथ ही यह निकट भविष्य में 6 फीसदी के ऊपर बनी रहेगी। हमें लगता है कि हमारा टर्मिनल रेट का अनुमान करीब 5.75 फीसदी पर बना रहेगा।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई जून 2022 तक लगातार छह महीने तक 2 से 6 फीसदी पर बने रहने के आरबीआई के अनुमान से ऊपर बनी हुई है। जून में महंगाई 7.01 फीसदी रही। सीपीआई के लिए आरबीआई की मध्यम अवधि का लक्ष्य 4 फीसदी है।
मौद्रिक नीति समिति सीपीआई मौजूदा तिमाही में 7.1 फीसदी पर रहने का अनुमान जता रही है जबकि अक्टूबर-दिसंबर में 6.4 फीसदी और जनवरी-मार्च में 5.8 फीसदी। ऐसे में लगता है कि समिति यह सुनिश्चित करने में नाकाम रहेगी कि औसत महंगाई तीन तिमाहियों तक लक्षित दायरे से ऊपर न जाए।
नाकामी की स्थिति में आरबीआई को निश्चित तौर पर सरकार को स्पष्टीकरण देना होगा। समिति के मुताबिक, सीपीआई 2023-24 में 5 फीसदी रहेगी।
एसबीआई समूह के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्या कांति घोष ने कहा, आरबीआई गवर्नर ने कहा है कि वित्त वर्ष 23 के लिए 6.7 फीसदी महंगाई के अनुमान में आज के नीतिगत कदम के असर का ध्यान नहीं रखा गया है।
घोष के मुताबिक, शुक्रवार की दर बढ़ोतरी से संकेत मिलता है कि जून में एमपीसी की तरफ से की गई 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी का महंगाई पर बहुत ज्यादा असर नहीं दिखा और यह लंबी अवधि में महंगाई पर असर डालेगा।
एसबीआई के अर्थशास्त्री ने एक अन्य संभावना के तहत कहा है कि आरबीआई इस समय महंगाई का नरम अनुमान नहीं रखना चाहता क्योंकि वह वैश्विक स्तर पर अनिश्चित मौद्रिक व महंगाई के माहौल में आगे बने रहना चाहता है।
कुछ अर्थशास्त्री हालांकि आशावादी हैं कि अगर वैश्विक जिंस की कीमतों में आई हालिया गिरावट टिकी रहती है तो आरबीआई के पास दरों में बढ़ोतरी की धीमी रफ्तार का विकल्प होगा।
बार्कलेज इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा, हमारा टर्मिनल रीपो दर का अनुमान 5.75 फीसदी से 5.90 फीसदी चला गया है।
