आईडीबीआई बैंक में सरकार की ओर से प्रस्तावित शेयर बिक्री पर नियामकीय पेच फंस सकता है। आईडीबीआई बैंक में न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता के मसले पर केंद्र और बाजार नियामक बाजार नियामक सेबी की राय अलग-अलग हो सकती है।
नियामक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सेबी ने निजी क्षेत्र के ऋणदाता की सार्वजनिक शेयरधारिता कम होने को लेकर चिंता जताई है। हालांकि सरकार ने सेबी से आईडीबीआई बैंक में शेयर बिक्री को लेकर विशेष छूट की मांग की है। लेकिन समझा जाता है कि बाजार नियामक इसकी अनुमति देने के लिए इच्छुक नहीं है क्योंकि ऋणदाता की सार्वजनिक शेयरधारिता पहले से ही काफी कम है।
वर्तमान में आईडीबीआई बैंक में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के पास 49.24 फीसदी और सरकार के पास 45.48 फीसदी हिस्सेदारी है। इन दोनों के पास बैंक की कुल 94.72 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि सार्वजनिक शेयरधारिता महज 5.28 फीसदी है।
इस महीने की शुरुआत में सरकार और एलआईसी ने आईडीबीआई बैंक में 30-30 फीसदी से थोड़ा अधिक शेयर बेचने का निर्णय किया था। उन्होंने प्रारंभिक सूचना ज्ञापन जारी किया था और संभावित खरीदारों से 60.72 फीसदी हिस्सेदारी के साथ प्रबंधन नियंत्रण के लिए अभिरुचित पत्र आमंत्रित किए थे।
सूत्रों ने कहा कि सरकार ने सेबी से आईडीबीआई बैंक की शेष हिस्सेदारी को सार्वजनिक शेयरधारिता के रूप में वर्गीकृत करने का आग्रह किया था। उसका तर्क था कि केंद्र बैंक का प्रबंधन नियंत्रण छोड़ रहा है और साधारण शेयरधारक के तौर पर इसमें शामिल रहेगी। उक्त अधिकारी ने कहा, ‘सरकार प्रबंधन नियंत्रण छोड़ रही है।
इसके बाद भी उसके पास 30 फीसदी से अधिक शेयर होंगे और 60 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी निजी खरीदार को हस्तांतरित की जाएगी। ऐसे में सार्वजनिक शेयरधारिता पर यथास्थिति बनी रहेगी और यह 5.3 फीसदी के करीब होगी। न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता का मूल मकसद सार्वजनिक निवेशकों के विविधीकृत वर्गों की शेयरधारिता सुनिश्चित करना है। लेकिन यह रणनीतिक विनिवेश इस दिशा में मददगार नहीं है।’
अगर सेबी इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाता है तो इससे सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है। रणनीतिक विनिवेश का मकसद आईडीबीआई बैंक के मूल्य का आकलन करना है, ताकि केंद्र भविष्य में अपनी बची हुई हिस्सेदारी को बढ़े हुए मूल्य पर बेच सके।
एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केंद्र आईडीबीआई बैंक का मूल्यांकन 60,000 करोड़ रुपये रहने की संभावना देख रहा है जो बाजार मूल्य से करीब 25 फीसदी अधिक है। आईडीबीआई बैंक का शेयर 45.2 रुपये के भाव पर बंद हुआ जिससे इसका मूल्यांकन करीब 48,600 करोड़ रुपये बैठता है।
आईडीबीआई बैंक को खरीदने के इच्छुक रणनीतिक निवेशकों को प्रारंभिक सूचना ज्ञापन से संबंधित कोई सवाल हो तो उन्हें 28 अक्टूबर तक इसके बारे में बताना होगा। इसके बाद वे 16 दिसंबर तक अभिरुचि पत्र जमा कर सकते हैं।
सौदे में दो-चरण की प्रक्रिया होगी, जिसमें संभावित बोलीदाताओं को भारतीय रिजर्व बैंक से पात्रता मापदंड को पूरा करना होगा और उसके बाद वे वित्तीय बोली जमा कर सकेंगे। सरकार अगले वित्त वर्ष में सौदा पूरा होने की उम्मीद कर रही है क्योंकि पूरी प्रक्रिया में कम से कम 9 से 10 महीने लग सकते हैं।
निजी और विदेशी बैंक, आरबीआई के विनियमन वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां, सेबी में पंजीकृत वैकल्पिक निवेश फंडों को आईडीबीआई बैंक के लिए बोली लगाने की अनुमति होगी। बोली लगाने वाले के लिए (व्यक्तिगत या कंसोर्टियम) न्यूनतम नेटवर्थ 22,500 करोड़ रुपये तय की गई है।
हालांकि यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और सेबी आईडीबीआई बैंक से संबंधित न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता के मसले से कैसे निपटते हैं। हालांकि रणनीतिक खरीदार को बाजार नियामक से अन्य छूट मिल सकती है। हाल ही में सेबी ने पीएसयू विनिवेश के लिए खुली पेशकश में मूल्य निर्धारण नियमों में ढील दी थी।
