भारत के इंटरनैशनल फाइनैंशियल सर्विसेज सेंटर (आईएफएससी) को ज्यादा आकर्षक बनाने के प्रयास में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ब्याज-आय से संबंधित फॉरेन करेंसी अकाउंट्स (एफसीए) खोलने के संदर्भ में लोगों पर लगे प्रतिबंध हटा दिए हैं।
इसके अलावा, केंद्रीय बैंक ने एफसीए खाते में 15 दिन तक पड़ी निष्क्रिय रकम स्वदेश भेजने से संबंधित शर्त हटा दी है।
उद्योग की कंपनियों का कहना है कि आरबीआई द्वारा लंबे समय से प्रतीक्षित इस संशोधन ने अब आईएफएससी को रकम प्रेषण के मामले में अन्य क्षेत्राधिकारों के समान ला दिया है।
फरवरी 2021 में, आरबीआई ने निवासी व्यक्तियों को भारत में गठित आईएफएससी को लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के तहत रकम प्रेषण की अनुमति दी थी। हालांकि रकम प्रेषण सिर्फ आईएफएससी प्रतिभूतियों में निवेश के मकसद से किया जाना था।
इसके अलावा, एलआरएस के तहत आईएफएससी में सिर्फ गैर-ब्याज संबंधित एफसीए की ही अनुमति थी। खाते में रकम की प्राप्ति की तारीख से 15 दिन तक पड़ी गैर-इस्तेमाल वाली राशि भारत में निवेशक के घरेलू खाते में तुरंत वापस स्थानांतरित हो जाती थी। बुधवार को जारी आरबीआई के सर्कुलर में इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है।
कानूनी जानकारों का कहना है कि इस कदम से गिफ्ट सिटी में गतिविधि को बढ़ावा मिलेगा।
एक बाजार विश्लेषक ने नाम नहीं बताने के अनुरोध के साथ कहा, ‘अब ब्याज वाले खाते संभव हो सकते हैं। आप आईएफएससी में पूंजी रखने में और इस पर कुछ ब्याज पाने में सक्षम होंगे। पिछले प्रतिबंधों की वजह से लोग गिफ्ट सिटी में पैसा नहीं भेज रहे थे। इससे कई तरह के शुल्क जुड़े हुए थे।’
एलआरएस के तहत, अधिकृत डीलरों को कानून के तहत स्वीकृत सौदों के लिए निवासी व्यक्तियों द्वारा प्रति वित्त वर्ष 250,000 डॉलर तक रकम प्रेषण सुगम बनाने की अनुमति थी।
आरबीआई के ताजा कदम से आईएफएससी में बैंकों को देनदारियां जुटाने में भी मदद मिलेगी। बाजार विश्लेषक ने कहा कि इससे उन्हें कोष तक सस्ती कीमत पर पहुंच बनाने में मदद मिलेगी जिससे वे ज्यादा प्रतिस्पर्धी दरों पर उधार देने में सक्षम होंगे।