पिछले दो माह में क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने ज्यादा कंपनियों को डाउनग्रेड किया है। यह अर्थव्यवस्था में गिरावट का प्रमाण है।
क्रिसिल, आईसीआरए और केयर आदि तीन रेटिंग एजेंसियों आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले दो माहों में एक भी रेटिंग को नहीं बढ़ाया।
अलबत्ता जिनकी रेटिंग घटाई गई है,उनकी संख्या तेजी से बढ़ी हैं। क्रिसिल की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी रूपा कुडवा ने बताया कि आगे का माहौल और खराब होने जा रहा है।
अगले 12-18 माह में हम देखेंगे कि गिरावट वाली कंपनियों की संख्या बढ़ने वाली से ज्यादा होंगी। आईसीआरए के प्रबंध निदेशक नरेश ठक्कर ने बताया कि उन्हें नहीं लगता कि अगले छह से नौ माह में स्थितियों में कोई बदलाव आने वाला है।
केयर के उप प्रबंध निदेशक डीआर डोगरा ने कहा कि अकेले तीसरी तिमाही वित्तीय प्रदर्शन खराब के कारण गिरावट वाली कंपनियों की संख्या में इजाफा होगा। पिछले कुछ माह में रेटिंग एजेंसियां अधिक चौकस हो गई हैं, लेकिन डोगरा का कहना है कि इस साल बड़ी संख्या में कंपनियों को रेटिंग दी गई है। इससे भी स्थितियों में बदलाव दिख रहा है।
यहां तक कि रेटिंग का अनुपात भी यही बात कहता है। उदाहरण के लिए केयर की बात करें तो बढ़त और गिरावट का अनुपात अप्रैल-अक्टूबर 2008 में 0.50 रहने का आकलन किया गया था। यह अनुपात पिछले साल इसी समय 0.71 और 2007-08 की पहली छमाही में 0.70 रहा था।
क्रिसिल की संशोधित क्रेडिट रेटिंग (एमसीआर) में यह अनुपात सितंबर में गिरकर 0.98 हो गया था। यह रेटिंग सितंबर 2007 में 1 से नीचे आई थी फिर इस साल मार्च में यह 0.97 तक पहुंच गई थी। 1998-99 में एशियाई बाजारों में आए संकट के कारण क्रिसिल एमसीआर की रेटिंग 0.61 के रिकार्ड स्तर पर गिरी थी।
आईसीआरए में डाउनग्रेड से अपग्रेड का अनुपात वित्तीय वर्ष 2008-09 की पहली छमाही में 2.75 हो गया था। एक साल पहले यह अनुपात 1.50 पर था।
यह रेटिंग क्रेडिट क्वालिटी घटने , फंड की उपलब्धतता कम होने और इसकी लागत बढ़ने, मांग में कमी (घरेलू के साथ निर्यात मांग घटने) और रुपये का मूल्य घटने की बात कहती है।
भले ही सिस्टम में तरलता बढ़ी है, लेकिन अभी भी गैर बैंकिंग वित्तीय और रियल एस्टेट कंपनियां समस्याओं से घिरी हुई हैं।