वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के दौरान निजी क्षेत्र के बैंकों के शुद्ध मुनाफे में बढ़ोतरी हुई है। इसकी प्रमुख वजह ऋण में तेज वृद्धि से बैंकों की ब्याज से शुद्ध आमदनी (एनआईआई) में बढ़ोतरी है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा रीपो रेट में 190 आधार अंकों की बढ़ोतरी के बाद बैंक दिए गए ऋण पर ब्याज बढ़ा रहे हैं। साथ ही जमाकर्ताओं के लिए ब्याज दरें बढ़ाकर इस फायदे को उन तक पहुंचा रहे हैं। हालांकि कर्ज की मांग के साथ ब्याज दरें बढ़ने से बैंकों को मोटा मुनाफा हो रहा है।
निजी क्षेत्र के प्रमुख बैंकों के जुलाई-सितंबर की कमाई में येस बैंक को छोड़कर प्रॉविजन में गिरावट आई है। सकल गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) और शुद्ध एनपीए दोनों के हिसाब से एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। ज्यादातर बैंकों के पोर्टफोलियो में 2 अंकों की वृद्धि दर्ज हुई है।
यह बैंकों के कर्ज में बढ़ोतरी के अनुकूल है। वहीं जमा दर उस अनुपात में नहीं बढ़ी है, जितना कर्ज पर ब्याज बढ़ा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में बैंक आक्रामक होंगे और अपनी जमा दरें बढ़ाएंगे, जिससे ज्यादा से ज्यादा धन जुटाया जा सके और कर्ज के बढ़ती मांग पूरी की जा सके। साथ में प्रतिफल बढ़ा है, जिसके कारण पहली तिमाही के विपरीत बैंकों को उनके ट्रेजरी पोर्टफोलियो में ज्यादा घाटा नहीं हुआ है।
इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च के निदेशक व वित्तीय संस्थानों के प्रमुख प्रकाश अग्रवाल ने कहा, ‘इस साल की शुरुआत में हमारे सालाना परिदृश्य और हाल के मध्यावधि परिदृश्य में हमने कहा था कि बैंकिंग सेक्टर के लिए कुल मिलाकर वित्त वर्ष 23 बेहतरीन वर्ष होने जा रहा है। ऋण की लागत बहुत कम रहने की संभावना है, क्योंकि कंपनियों की संपत्ति की गुणवत्ता सुधर रही है और एमएसएमई और खुदरा क्षेत्र की चुनौतियां प्रबंधन के योग्य थीं। कोविड के कारण आई चुनौतियों ने भी उतना नुकसान नहीं फैलाया, जितना डर था।’
साथ ही अग्रवाल ने कहा, ‘आगे ब्याज दरें तेजी से बढ़ रही हैं और इसके संपत्ति में तब्दील होने की प्रक्रिया तेज है, क्योंकि निजी बैंकों का पोर्टफोलियो बाहरी बेंचमार्कों से जुड़ा है। दूसरी तिमाही में बैंकों को मोटा मुनाफा हुआ है। बहरहाल आगे चलकर जमा दरें भी बढ़ने जा रही हैं, लेकिन हमारा अनुमान है कि इसका असर अगले साल के प्रदर्शन पर पड़ेगा।’
बिजनेस स्टैंडर्ड के विश्लेषण के पता चलता है कि निजी क्षेत्र के बैंकों का शुद्ध मुनाफा वित्त वर्ष 23 की दूसरी तिमाही में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 20 से 70 प्रतिशत बढ़ा है। इन बैंकों का एनआईआई 19 से 48 प्रतिशत की सीमा में बढ़ा है. मुनाफे को मापने वाले शुद्ध ब्याज से आय में 2.6 से 5.98 प्रतिशत वृद्धि हुई है। आईडीएफसी बैंक के एनआईएम में सबसे ज्यादा 5.98 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। उसके बाद कोटक बैंक का मुनाफा 5.17 प्रतिशत बढ़ा है।
ज्यादातर बैंकों के मुनाफे में बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि बढ़ोतरी के तेज प्रेषण से दरों में तेजी आई है। विशेषज्ञों का कहना है कि संभवतः यह उच्च मुनाफा टिकाऊ नहीं होगा क्योंकि जमा दरें उधारी दरों की तुलना में कम हैं। मैक्वैरी कैपिटल के वित्तीय शोध के प्रमुख सुरेश गणपति ने कहा कि बैंकों के लए खुशी का क्षण है। गणपति ने कहा कि कॉर्पोरेट सेक्टर में बही खातों में बहुत सफाई हुई है।
इस उद्योग के लिए चिंता की बात यह भी है कि भारत की जमा में वृद्धि पीछे छूट रही है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक ऋण में वृद्धि इस दशक के उच्च स्तर पर पहुंच गई है, वहीं जमा दर में वृद्धि बहुत सुस्त है।
इस महीने तिमाही कमाई की घोषणा करने वाले बैंकों ने वृद्धि दर्ज की है। जमा दरें 9.6 प्रतिशत की धीमी रफ्तार से बढ़ रही है। इस महीने अपनी संपत्तियों क घोषणा करने वाले ज्यादादर बैंकों के ऋण वृद्धि में सुधार हुआ है। इससे उच्च उधारी का संकेत मिलता है, जबकि जमा दरों में वृद्धि की रफ्तार धीमी बनी हुई है।