facebookmetapixel
खरीदारी पर श्राद्ध – जीएसटी की छाया, मॉल में सूने पड़े ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोरएयरपोर्ट पर थर्ड-पार्टी समेत सभी सेवाओं के लिए ऑपरेटर होंगे जिम्मेदार, AERA बनाएगा नया नियमकाठमांडू एयरपोर्ट से उड़ानें दोबारा शुरू, नेपाल से लोगों को लाने के प्रयास तेजभारत-अमेरिका ट्रेड डील फिर पटरी पर, मोदी-ट्रंप ने बातचीत जल्द पूरी होने की जताई उम्मीदApple ने उतारा iPhone 17, एयर नाम से लाई सबसे पतला फोन; इतनी है कीमतGST Reforms: इनपुट टैक्स क्रेडिट में रियायत चाहती हैं बीमा कंपनियांमोलीकॉप को 1.5 अरब डॉलर में खरीदेंगी टेगा इंडस्ट्रीज, ग्लोबल मार्केट में बढ़ेगा कदGST 2.0 से पहले स्टॉक खत्म करने में जुटे डीलर, छूट की बारिशEditorial: भारत में अनुबंधित रोजगार में तेजी, नए रोजगार की गुणवत्ता पर संकटडबल-सर्टिफिकेशन के जाल में उलझा स्टील सेक्टर, QCO नियम छोटे कारोबारियों के लिए बना बड़ी चुनौती

बैंकों के लिए अच्छी हैं राजनीतिक स्थिरता

Last Updated- December 07, 2022 | 1:02 PM IST

मनमोहन सिंह सरकार के विश्वासमत जीतने से भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई जैसे बड़े बैंकों पर सकारात्मक असर पड़ा है।


सरकार के विश्वासमत जीतने के बाद इन दोनों बैंकों की कर्ज वसूली पर आने वाली लागत कम हो गई है। विश्वासमत जीतने के साथ ही देश में समय से पहले आम चुनाव होने की संभावना भी समाप्त हो गई। माना जा रहा है कि अब सरकार देश में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए नए कानून बनाएगी। इस अटकल से न्यूयॉर्क के बाजार में भी भारतीय कंपनियों के शेयरों के भाव बढ़ गए ।

सिंगापुर में बार्कलेज बैंक के क्रेडिट विश्लेषक जेसन रोजर्स ने बताया, ‘सरकार का स्थिर होना बैंकों के लिए सकारात्मक संकेत है। राजनीतिक अस्थिरता कभी भी बैंकों के लिए अच्छी नहीं होती है। खासतौर पर भारत जैसे देशों में तो बिल्कुल भी नहीं क्योंकि वहां पर लगभग 70 फीसदी बैंकिंग कारोबार सरकार के ही पास है।’ जेपी मॉर्गन चेज ऐंड कंपनी के मुताबिक आईसीआईसीआई बैंक के पांच साल के क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप में 20 आधार अंकों की कमी हुई है और यह अब 345 हो गया है। स्टेट बैंक के क्रेडिट डिफॉल्ट में भी लगभग इतनी ही गिरावट हुई है और यह 230 हो गया है।

आईसीआईसीआई के लगभग 42 करोड़ रुपये के कर्ज को डिफॉल्ट में जाने से बचाने के लिए सालाना खर्च लगभग 1.38 करोड़ रुपये खर्च  आता है। क्रेडिट डिफॉल्ट में कमी आने का मतलब है बैंकों पर निवेशकों को भरोसा होना। क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप का इस्तेमाल डिफॉल्ट कर्जों को बचाने के लिए किया जाता है। अगर कोई कर्जदार शर्तों के मुताबिक कर्ज की रकम वापस नहीं करता है तो बैंक को गिरवी रखी संपत्ति के बदले अंकित मूल्य मिल जाता है।

मुंबई में बिड़ला सन लाइफ असेट मैनेजमेंट कंपनी के  मुख्य वित्त अधिकारी ए बालसुब्रमण्यम ने बताया, ‘विदेशी निवेशक भारतीय और अमेरिकी बैंकों को एक ही नजर से देखते हैं। हो सकता है कि भारत के सरकारी बैंकों में भी विदेशी हिस्सेदारी को बढ़ाने पर विचार भी किया जाए।’ विदेशी निवेशक अब भारतीय सरकारी बैंकों में ज्यादा से ज्यादा 20 फीसदी हिस्सेदारी ही रख सकते हैं। बीमा कंपनियों के लिए यह आंकड़ा 26 फीसदी है। सरकार की पूर्व सहयोगी कम्युनिस्ट पार्टी ने इसे 49 फीसदी करने का कड़ा विरोध किया था।

देश के केंद्रीय बैंक की बढ़ती महंगाई दर को रोकने की कवायद के चलते ऋण पर ब्याज दर बढ़ने के कारण 8 जुलाई को आईसीआईसीआई बैंक का क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप 384 अंकों तक पहुंच गया था। साल 2004 से लेकर अभी तक  यह सबसे ज्यादा था।

First Published - July 23, 2008 | 11:52 PM IST

संबंधित पोस्ट