एक और जहां इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए)ने अपने सभी सदस्य बैंकों को मोटी जमा राशियों पर ब्याज दरों को कम करने को कहा है।
लेकिन दूसरी ओर आईबीए ने सावधि जमा पर खुदरा ग्राहकों के लिए ब्याज दरों में कम नहीं करने की बात कही है। एसोसिएशन ने कहा कि इन दरों में कोई कमी महंगाई के स्तर में कमी आने केबाद ही की जा सक ती है।
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने एक आदेश केतहत अधिकांश बैंकों ने एक साल की मोटी रकम पर जमा दर को घटाकर 9.5 फीसदी के स्तर पर कर दिया था।
हालांकि अभी भी कुछ बैंकों ने दर में कटौती नहीं की है। आईबीए ने विश्वास जताया कि सभी सदस्य बैंक अगले कुछ दिनों में मोटी जमा पर दरों को कम कर देंगे।
गौरतलब है कि खुदरा ग्राहकों केलिए, जिनकी बैंकों के कारोबार में 70 फीसदी की हिस्सेदारी है, बैंकों ने विभिन्न अवधियों की जमा दरों में आधी से एक फीसदी तक की कमी कर चुकी है।
दरों में कमी करने से फंडों की कीमत में कमी आएगी। आईबीए के अध्यक्ष टीएस नारायणस्वामी ने प्रबंध समिति की बैठक के बाद कहा कि जब तक महंगाई का स्तर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय मानक स्तर पर नहीं आ जाती तब तक बैंकों के लिए जमा दरों में कटौती करना संभव नहीं हो पाएगा।
आरबीआई ने विश्वास जताया था कि मार्च 2009 तक महंगाई का स्तर घटकर 7 फीसदी केस्तर तक पहुंच जाएगा। इस बैठक में भाग लेने वाले एक बैंक अधिकारी ने कहा कि प्रणाली में नकदी के स्तर में इजाफा हुआ है और कॉल रेट का स्तर रेपो रेट से कम है।
अधिकारी ने कहा कि जिन बैंकों ने अब तक दरों में कटौती नहीं की है, वे कुछ दिनों के भीतर दरों में कटौती करेंगे। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा अब उतना अहम नहीं रहा है और सिर्फ छह महीने पहले ही 90,000 करोड़ रु. जुटाने के बाद बहुत उत्साहित नजर आ रहे हैं और बैंक आरबीआई की रिवर्स रेपो सुविधा के जरिए अतिरिक्त नकदी जमा कर रहे हैं।
गिरावट की ओर
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की जमा दरों में प्रतिशत बदलाव
बैंक पुरानी दरें नई दरें
एसबीआई 10.00 9.50
पीएनबी 10.50 9.50
कॉर्पोरेशन बैंक 10.00 9.50
बीओआई 10.25 9.75
यूनियन बैंक 10.00 9.50
नोटऱ् विभिन्न अवधियों की दरें (91दिनों से लेकर 5 वर्षों तक)