निजी क्षेत्र का तीसरा सबसे बड़ा ऋणदाता ऐक्सिस बैंक अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी ऐक्सिस फाइनैंस में अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचकर 2,000 से 4,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रहा है। इस मामले से अवगत एक सूत्र ने यह जानकारी दी।
ऐक्सिस बैंक इस हिस्सेदारी बिक्री से प्राप्त रकम का उपयोग अपनी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) में पूंजी डालने में करेगा। सूत्र ने कहा कि ऐक्सिस बैंक यह पहल इसलिए कर रहा है क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने संकेत दिया है कि वह अपने एनबीएफसी में सीधे तौर पर
अधिक इक्विटी निवेश नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि हिस्सेदारी बेचने की इच्छा न होने के बावजूद ऐक्सिस फाइनैंस को आवश्यक पूंजी उपलब्ध कराने के लिए ऐक्सिस बैंक को यह पहल करनी पड़ रही है। इसके तहत कंपनी में कोई एक अथवा कई नए शेयरधारक लाने की योजना है।
सूत्र ने बताया कि कई निजी इक्विटी एवं रणनीतिक निवेशकों ने ऐक्सिस फाइनैंस में हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। उन्होंने बताया कि बिक्री प्रक्रिया अगले 3 से 6 महीनों में पूरी हो जाएगी।
इस बाबत जानकारी के लिए ऐक्सिस बैंक को भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।
ऐक्सिस बैंक के एमडी एवं सीईओ अमिताभ चौधरी ने नवंबर में बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा था कि
ऐक्सिस बैंक द्वारा इस एनबीएफसी में इक्विटी निवेश किए जाने को लेकर आरबीआई सहज नहीं है। इसलिए एक समय अन्य शेयरधारकों को भी शामिल करना होगा।
ऐक्सिस बैंक की ऐक्सिस फाइनैंस में फिलहाल 100 फीसदी हिस्सेदारी है। वह इस एनबीएफसी की पूंजी जरूरतों को पूरा करने के लिए समय-समय पर इक्विटी निवेश करता रहा है। उसने चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान ऐक्सिस फाइनैंस में 600 करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी डाली थी। इससे पहले पिछले 10 वर्षों के दौरान कुल मिलाकर 1,775 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश किया जा चुका है जिसमें वित्त वर्ष 2024 में डाली गई 300 करोड़ रुपये की पूंजी भी शामिल है।
बैंक द्वारा ऐक्सिस फाइनैंस में हिस्सेदारी बिक्री की अटकलें उस दौरान शुरू हुई थीं जब पिछले साल अक्टूबर में आरबीआई ने एक मसौदा परिपत्र जारी कर कहा था कि किसी एक बैंक समूह के तहत कई कंपनियां समान कारोबार नहीं कर सकती हैं अथवा वित्तीय क्षेत्र के नियामक से समान श्रेणी के लिए लाइसेंस हासिल नहीं कर सकती हैं या पंजीकरण नहीं करा सकती हैं। उसमें यह भी कहा गया था कि बैंक और उसकी सहायक कंपनियों के बीच ऋण गतिविधियों के घालमेल की अनुमति नहीं दी जाएगी। मसौदे पर 20 नवंबर, 2024 तक प्रतिक्रिया मांगी गई थी। बैंकों ने व्यक्तिगत तौर पर और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के जरिये अपनी प्रतिक्रियाएं आरबीआई को सौंप दी हैं। विश्लेषकों ने कहा कि आरबीआई के प्रस्तावित मानदंडों से
ऐक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और फेडरल बैंक जैसे प्रमुख बैंक प्रभावित हो सकते हैं। ऐक्सिस बैंक के पास ऐक्सिस फाइनैंस का स्वामित्व है जबकि आईसीआईसीआई बैंक के पास आईसीआईसीआई होम फाइनैंस है। कोटक महिंद्रा बैंक कोटक महिंद्रा प्राइम एवं कोटक महिंद्रा इन्वेस्टमेंट का संचालन करता है जबकि फेडरल बैंक के पास फेडबैंक फाइनैंशियल सर्विसेज का स्वामित्व है।
ऐक्सिस फाइनैंस की स्थापना 2013 में हुई थी और वह गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी ग्राहकों से जमा नहीं ले सकती। आरबीआई के पैमाने के आधार पर उसे मध्यम स्तर की एनबीएफसी श्रेणी में रखा गया है। कंपनी कॉरपोरेट ऋण, रेहन के साथ ऋण, रियल एस्टेट ऋण और एमएसएमई ऋण क्षेत्र में कारोबार करती है। उसने 2019 से खुदरा ऋण कारोबार में भी कदम रखा है।