प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के प्रमुख सुरेश तेंदुलकर ने कहा है कि रिजर्व बैंक के पास रेपो और रिवर्स रेपो में एक-एक फीसदी तक की और कमी करने की गुंजाइश है।
तेंदुलकर ने कहा, ‘रेपो और रिवर्स रेपो दरों में एक-एक फीसदी की कटौती वांछनीय है।’ मुद्रास्फीति की दर के कम होने के बारे में तेंदुलकर ने बताया, ‘मुद्रास्फीति की दर चालू वित्त वर्ष के अंत तक घटकर करीब 4-5 फीसदी के दायरे में आने की संभावना है।
तेंदुलकर ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था अभी भी विश्व में दूसरी सबसे तेजी से विकास कर रही अर्थव्यवस्था है। तेंदुलकर ने कहा कि भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत है और इसकी अर्थव्यवस्था विश्व में दूसरी सबसे तेजी से विकास कर रही अर्थव्यवस्था है।
उन्होने कहा कि भारत अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तरह मंदी का सामना नहीं कर रहा है और इसकी अर्थव्यवस्था उतनी प्रभावित नहीं होगी जितनी एशिया की अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाएं होंगी। बेहद छोटे और लघु और मझोले उद्यमों के बारे में तेंदुलकर ने कहा कि मौजूदा आर्थिक मंदी इस क्षेत्र की क्षमता की जांच करेगी।
इधर वित्त मंत्रालय ने अपने एक ताजा बयान में दरों में और कटौती किए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया है। अपने बयान में वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि अगर मौजूदा वित्तीय संकट जारी रहता है तो अगले छह से बारह महीनों के बीच मौद्रिक उपायों में और कमी किए जाने की गुंजाइश बनती है।
हाल में ही आरबीआई द्वारा प्रमुख दरों में कटौती किए जाने के बाद वित्त मंत्रालय ने एक बार फिर से दरों में कटौती करने की बात कही है।
अपनी छमाही समीक्षा में वित्त मंत्रालय ने कहा कि मार्च में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के 7 से 8 फीसदी की दर से विकास करने की संभावना है जो वित्त वर्ष 2007-08 के 9 फीसदी के मुकाबले कम है।
हालांकि मंत्रालय ने इस बात को भी स्वीकार किया कि हमारे सामने अभी कठिन चुनौतियां हैं जिसकेलिए नीतियों में बेहतर और कारगर बातों का सम्मिश्रण बेहद जरूरी है।
बयान में यह भी कहा गया है कि मौजूदा वित्तीय संकट के जारी रहने की स्थिति में आक्रामक मौद्रिक नीति अपनाने से भी एकदम इनकार नहीं किया जा सकता है।
दीगर बात है कि इस साल अक्टूबर से पहले देश में महंगाई पर पर लगाम कसने केलिए भारतीय रिजर्व बैंक ने कड़े मौद्रिक उपायों केतहत अपनी प्रमुख दरों में बढोत्तरी की थी ।
लेकिन अक्टूबर में मंदी के भारतीय अर्थव्यवस्था को भी शिकार बना लेने के बाद आरबीआई और सरकार दोनों ने एहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिए।
इस महीने की शुरुआत में रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था में मुद्रा की आपूर्ति बढ़ाने के लिए रिवर्स रेपो और रेपो दर में एक-एक फीसदी की कटौती की थी।
इसके अलावा सरकार ने भी अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए इस वित्त वर्ष में अतिरिक्त सहायता राशि की घोषणा की थी। वित्त मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि सभी को रिजर्व बैंक से उम्मीद है कि बैंक विकास दर को बढ़ाने के लिए दरों में कटौती करेगा।