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1 प्रतिशत से कम फर्मों ने चुना पुनर्गठन का विकल्प : क्रिसिल

Last Updated- December 11, 2022 | 11:54 PM IST

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने आज कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा कोविड राहत पैकेज के तहत दूसरी बार पुनर्गठन का विकल्प देने पर 1 प्रतिशत से भी कम पात्र कंपनियों ने यह विकल्प चुना है।
पुनर्गठन 2.0 विंडो 30 सितंबर को बंद हुई थी। क्रिसिल ने एक बयान में कहा है, ‘कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक होने के बावजूद सुस्त प्रतिक्रिया से पता चलता है कि मांग सकारात्मक है और पुनगर्ठित कंपनियों के बारे में हिस्सेदारों की धारणा नकारात्मक होने को लेकर चिंता बढ़ी है।’
क्रिसिल का यह अनुमान बड़ी और मझोली कंपनियों के अध्ययन के आधार पर है। क्रिसिल का कहना है कि इस परिणाम से संभवत: सूक्ष्म और मझोले उद्यमों का सही रुख नहीं पता चलेगा, जिनमें से तमाम बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
अगस्त में रेटिंग एजेंसी इसी तरह के शुरुआती निष्कर्ष पर पहुंची थी, जब उसने रेटिंग वाली 4,700 कंपनियों का विश्लेषण किया था।
क्रिसिल ने कहा कि निवेश ग्रेड (बीबीबी या इससे ज्यादा) वाली किसी भी कंपनी ने पुनर्गठन का विकल्प नहीं चुना है। इसमें कहा गया है, ‘यहां तक कि सब इनवेस्टमेंट ग्रेड श्रेणी (बीबी या इससे नीचे) में आने वाली कंपनियां, जिनकी कर्ज प्रोफाइल कमजोर है, उनमें से 98 प्रतिशत ने पुनर्गठन का विकल्प नहीं चुना।’
रेटिंग एजेंसी ने अपने ढांचे में 43 सेक्टर को शामिल किया है, जिनकी कॉर्पोरेट कर्ज में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसने पाया कि 37 सेक्टरों ने कहा है कि मांग महामारी के पहले के स्तर पर पहुंच रही है। इसकी वजह यह हो सकती है कि नकदी प्रवाह पर दूसरी लहर का असर कम समय तक था क्योंकि प्रतिबंध स्थानीय स्तर के थे और पहली लहर की तुलना में कम सख्ती थी।

First Published - October 28, 2021 | 10:58 PM IST

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