भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने चुनिंदा सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों के साथ हुई बैठक में उन्हें सुझाव दिया है कि वे हाल के भू-राजनीतिक घटनाक्रमों पर नजर बनाए रखें और उसके अनुकूल उचित कदम उठाएं। इसमें पूंजी बढ़ाने, इन घटनाओं कारण किसी भी तरह के संभावित असर की संभावनाओं से बैलेंस सीट बचाने की कवायद शामिल है।
अन्य चीजों के अलावा गवर्नर ने बैंकों से कहा कि वे आर्थिक गतिविधियों की चल रही बहाली को जरूरी समर्थन मुहैया कराएं। बैंकों से यह भी कहा गया है कि वे शिकायत निपटान प्रणाली को बेहतर बनाएं, जिससे कि वे आगे और सुधार कर सकें।
शीर्ष बैंकरों के साथ हुई बैठक में डिप्टी गवर्नर एमके जैन और एम राजेश्वर राव के साथ रिजर्व बैंक के कुछ और अहम अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।
रिजर्व बैंक ने कहा, ‘अपनी परिचयात्मक टिप्पणी में गवर्नर ने बैंकों की प्रमुख भूमिका पर जोर दिया, जिससे महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था को समर्थन मिला। आगे उन्होंने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र अप्रभावित बना रहा और विभिन्न कठिनाइयों के बावजूद सुधार जारी रहा।’
गवर्नर ने 17 और 18 मई को हुई बैठक में क्रेडिट ऑफटेक, संपत्ति गुणवत्ता की स्थिति, संग्रह की कुशलता, डिजिटल बैंकिंग यूनिटों की स्थापना, आईटी अवसंरचना के महत्त्व, बैंकों को बचाने के लिए साइबर सुरक्षा पर भी चर्चा की। बीएस
कई वैश्विक तूफान एक साथ आने से की गई दर वृद्धि
वैश्विक स्तर पर कई तूफान एक साथ आने से भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने अचानक बैठक कर नीतिगत दर को बढ़ाने का फैसला किया। एमपीसी की बैठक के ब्योरे को बुधवार को जारी किया गया, जिसमें उक्त बात कही गई। बैठक के ब्योरे के अनुसार, रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अचानक की जा रही मौद्रिक नीति कार्रवाइयों का मकसद मुद्रास्फीति कम करना, मध्यम अवधि में अर्थव्यवस्था वृद्धि संभावनाओं को मजबूत करना और कमजोर वर्गों की क्रय शक्ति की रक्षा करना है। एमपीसी ने 2 और 4 मई को अपनी बैठक के बाद प्रमुख ब्याज दर (रीपो) में 0.40 प्रतिशत की वृद्धि की थी। यह अगस्त, 2018 के बाद पहली बढ़ोतरी थी। गवर्नर ने कहा कि कई तूफान एक साथ आए। हमारी मौद्रिक नीति प्रतिक्रिया को जहाज को स्थिर करने के उपाय के रूप में देखा जाना चाहिए। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर और एमपीसी सदस्य माइकल देवव्रत पात्रा ने बैठक में कहा कि इस माहौल में एक संतुलित दृष्टिकोण और एक शांत दिमाग की जरूरत है। एमपीसी के सभी छह सदस्यों ने रेपो दर को 0.4 प्रतिशत बढ़ाने के पक्ष में अपना मत दिया। भाषा