भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे. के मुताबिक भारत में वाणिज्यिक बैंक अपने बजट की पूरी राशि खर्च नहीं कर रहे हैं। यह जानकारी उन्होंने हाल में कई उपभोक्ताओं को बिना बताए व्यवधान आने की हालिया घटनाओं के संदर्भ में दी।
उन्होंने बैंकों के उनके लेखा-जोखा पर ब्याज दर के जोखिम को लेकर भी चेताया। दरअसल, ब्याज दर चक्र में बदलाव होने पर उनके मार्जिन और लाभप्रदता पर दबाव पड़ सकता है।
स्वामीनाथन ने एसबीआई इकनॉमिक कॉन्क्लेव में गुरुवार को बताया, ‘हाल के समय में कई ग्राहकों ने बिना बताए व्यवधान (डाउन टाइम) की शिकायत की है। यह भी उजागर हुआ है कि कई बैंकों ने आईटी सिस्टम को खरीदने और आईटी सुरक्षा प्रणाली के लिए बजटीय आवंटन को पूरी तरह खर्च नहीं किया है।’
उन्होंने कहा कि बैंक कारोबारी योजना के अनुरूप आईटी के आधारभूत ढांचे के संसाधनों की प्रतिबद्धता आगे बढ़कर पूरी करें। इससे वे अपनी निरंतर उपलब्धता व स्थायित्व पर निगरानी भी रख पाएंगे।
डिप्टी गवर्नर ने बैंकों को गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के साथ ऋण देने की व्यवस्था में भागीदारी पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। इसमें भी बैंक विशेषतौर पर कई उधारी देने वालों से जुड़े एनबीएफसी पर विशेष ध्यान दें।
उन्होंने कहा,‘ मेरे विचार से यह वह मुद्दा है जिसे नियामक सुलझा नहीं पाएगा। यह वह मुद्दा है जिस पर बैंक उद्योग को व्यापक रूप से ध्यान देना होगा। आपको तय करना है कि आपको विनियमन के कारण कई ऋणदाताओं में से एक बनना है, 30 से 40 में से एक बनना है। यदि मैं यह कहता हूं कि बैंकों को 10 से अधिक बैंकों से ऋण नहीं लेना चाहिए तो यह अधिक निर्देशात्मक व प्रतिबंधात्मक होगा। यह मुद्दा अपने से नहीं सुलझेगा।’