फ्यूचर रिटेल को लेकर रिलायंस इंडस्ट्रीज और एमेजॉन डॉट कॉम के बीच जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए हर संभव कोशिश भले ही की जा रही है लेकिन देश की दूसरी सबसे बड़ी खुदरा कंपनी के ऋण को गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की श्रेणी में रखे जाने से चौथी तिमाही के दौरान कई इंडियन बैंक को तगड़ा झटका लग सकता है।
सूत्रों के अनुसार, चेन्नई के इंडियन बैंक को फ्यूचर रिटेल के खाते को एनपीए की श्रेणी में डालने से चालू तिमाही के दौरान करीब 800 करोड़ रुपये का झटका लगेगा। इससे पहले 27 बैंकों के कंसोर्टियम ने संकेत दिया था कि इस खुदरा कंपनी द्वारा अदायगी न किए जाने के कारण उन्हें कुल मिलाकर करीब 9,000 करोड़ रुपये का प्रावधान करना होगा।
प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन और किशोर बियाणी के नेतृत्व वाले फ्यूचर समूह ने गुरुवार को अदालत के बाहर विवाद को निपटाने के लिए बातचीत शुरू करने के लिए सहमति जताई। लेनदारों ने इसे एक सकारात्मक संकेत माना है। उनका मानना है कि इससे विवाद का कोई न कोई समाधान जल्द सामने आएगा। जहां तक इंडियन बैंक का सवाल है तो फ्यूचर रिटेल के दो खातों के तहत उसका कुल ऋण करीब 1,100 करोड़ रुपये है। इसमें से 800 करोड़ रुपये को बैंक इसी तिमाही में एनपीए की श्रेणी में रख सकता है।
इससे पहले लेनदारों ने एमेजॉन और रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच विवाद को निपटाने के लिए खुली बोली लगाने का सुझाव दिया था। मीडिया खबरों के अनुसार इसके लिए आधार कीमत करीब 17,000 करोड़ रुपये रखने की बात कही गई थी।
