भारत अपने द्वारा तैयार स्टैक का फायदा उठाने के लिए 50 से 60 देशों तक पहुंच रहा है ताकि उसका उपयोग दुनिया में आम लोगों की भलाई के लिए किया जा सके। देश में खुदरा डिजिटल भुगतान के लिए मुख्य संगठन नैशनल पेमेंट्ïस कॉरपोरेशन (एनपीसीआई) के सीईओ दिलीप अस्बे ने यह बात कही।
इनफिनिटी फोरम में बोलते हुए अस्बे ने कहा, ‘हम बैंक फॉर इंटरनैशनल सेटलमेंट्ïस (बीआईएस) और विश्व बैंक के साथ काम कर रहे हैं और दुनिया के 50 से 60 देशों, उनकी सरकारों और नियामकों तक पहुंच रहे हैं। हम चाहते हैं कि भारत द्वारा तैयार स्टैक का लाभ उठाया जाए ताकि दुनिया में आम लोगों को उसका फायदा मिल सके। हम इसे भुनाना नहीं चाहते हैं बल्कि दुनिया की मदद करना और दुनिया भर के लोगों की आजीविका में सुधार लाना चाहते हैं। यह भारत का योगदान होगा।’
अस्बे ने कहा कि दुनिया के हरेक देश में स्थानीय अथवा घरेलू स्टैक होना चाहिए क्योंकि उनकी अपनी जटिलताएं एवं विविधताएं हैं। उन्होंने कहा, ‘एनपीसीआई में हम दृढ़ता से मानते हैं कि हरेक देश का अपना स्टैक होना चाहिए और फिर उन्हें आपस में जोडऩा संभव है।’ उदाहरण के लिए, हाल में भारतीय रिजर्व बैंक और मॉनिटरी अथॉरिटी ऑफ सिंगापुर ने यूनिफाइड पेमेंट्ïस प्लेटफॉर्म (यूपीआई) और पेनाउ को जोडऩे का निर्णय लिया। इससे दोनों देशों के बीच सीधे बैंक खाते से बैंक खाते रम का हस्तांतरण किया जा रहा है जो सस्ता है। उन्होंने कहा, ‘यह दो स्थानीय स्टैक को आपस में जोडऩे का एक उदाहरण है। भारत ने इस मोर्चे पर अन्य देशों की मदद करना भी शुरू कर दिया है।’
जब फिनटेक क्रांति की बात आती है तो भारत ने रणनीतिक परिप्रेक्ष्य से तीन महत्त्वपूर्ण कार्य किए हैं। पहला, प्रधानमंत्री का जेएएम तिकड़ी यानी जनधन, आधार एवं मोबाइल का दृष्टिïकोण। दूसरा, भारत में जो एक अहम रणनीति अपनाई है और वह दुनिया से बिल्कुल अलग है। इसके तहत भारत ने यूनिफाइड पेमेंट्ïस इंटरफेस, आधार, रुपे, जीएसटीएन नेटवर्क आदि सार्वजनिक बुनियादी ढांचे तैयार किए हैं। तीसरा, भारतीय रिजर्व बैंक और सरकार की नवाचार आधारित नीतियों से देश को जबरदस्त फायदा हुआ है।
अस्बे ने कहा, ‘हम देश में रुपे कार्ड, यूपीआई लेनदेन, फास्टैग लेनदेन आदि जो भी वृद्धि देख रहे हैं वह नियामक और सरकार द्वारा लिए गए इन्हीं तीन रणनीतिक निर्णय का नतीजा है।
