आईसीआईसीआई बैंक के प्रबंधन ने सितंबर तिमाही (दूसरी तिमाही) के नतीजों के बाद जो बयान दिए, उनमें उम्मीद का स्वर सुनाई दिया। प्रबंधन के इस आत्मविश्वास की वजह भले ही बैंक के उम्मीद से बेहतर संग्रह रुझान हों या खुदरा ऋणों की बढ़ती हिस्सेदारी या फंसे ऋणों (एनपीए) का अनुपात घटकर पांच साल के सबसे बेहतर स्तर एक फीसदी पर आना हो, मगर इससे बैंक के शेयर को लेकर निवेशकों में उम्मीद बढ़ी है। इसका शेयर सोमवार को 6.25 फीसदी चढ़ा। गौरतलब है कि बैंक के ऋणों में खुदरा ऋणों का हिस्सा सालाना आधार पर 400 आधार अंक सुधरकर 66 फीसदी हो गया।
यह धारणा बन रही है कि कोविड के असर को लेकर 8,770 करोड़ रुपये (कुल ऋणों का 1.3 फीसदी) का पहले ही किया जा चुका प्रावधान पर्याप्त है तथा और प्रावधान की जरूरत नहीं पड़ेगी। शुरुआती आकलनों के आधार पर इसके कुल ऋणों में से महज एक फीसदी का पुनर्गठन किया जा सकता हैै। इससे यह संकेत मिलता है कि बैंक के लिए परिसंपत्ति गुणवत्ता की चुनौतियों का दौर पीछे छूट चुका है। इससे हाल के वर्षों में दिए गए ऋणों की गुणवत्ता भी उजागर होती है।
बैंक की 3,000 करोड़ रुपये की प्रावधान की लागत में क्रमिक आधार पर 61 फीसदी गिरावट आई है। यह निजी बैंकों में सबसे तेज गिरावट है। यहां तक कि सालाना आधार पर भी प्रावधान में 13 फीसदी बढ़ोतरी हुई है, जो निजी बैंकों में सबसे कम है।
लेकिन ये आंकड़े कितने टिकाऊ हैं? भले ही शुद्ध एनपीए अनुपात घटकर एक फीसदी पर आ गया हो, लेकिन सकल एनपीए अनुपात 5.17 फीसदी पर है। एनपीए की पहचान पर सर्वोच्च न्यायालय के यथास्थिति के आदेश के बिना ये आंकड़े क्रमश: 1.12 फीसदी औरर 5.36 फीसदी होते। फंसे ऋणों के अनुपात में कमी पहली तिमाही की तुलना में बेहतर है मगर बहुत अधिक नहीं है। बैंक केवल वित्त वर्ष 2022 मेंं ही ऋण लागत सामान्य होने की उम्मीद कर रहा है, इसलिए अब मौजूदा स्तरों से आगे परिसंपत्ति गुणव9ाा में मजबूती सतत और धीमी रहेगी। मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज (एमओएसएल) के विश्लेषकों ने कहा है कि वित्त वर्ष 2021 में शुद्ध एनपीए अनुपात 1.6 फीसदी रहेगा, जो वित्त वर्ष 2020 में 1.4 फीसदी रहा है।
विश्लेषकों ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि लघु एवं मझोले उद्योगों (एसएमई), वाहन, बिल्डर पोर्टफोलियो, किसान क्रेडिट कार्ड और बिना परिसंपत्ति गिरवी वाले खुदरा खंड में फंसे कर्ज बढऩे के आसार हैं।’
