आईबीए की विशेष योजना जून के अंत तक वैध रहेगी। इस योजना के तहत आवेदक को 5 साल के लिए 9.25 फीसदी की तय ब्याज दर पर आवास ऋण दिया जाता है।
इसके तहत मुफ्त में जीवन बीमा भी दिया जाता है और इसमें किसी तरह की प्रोसेसिंग फीस नहीं ली जाती है। यह योजना बेहद आकर्षक नजर आ सकती है, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक इसके तहत ऋण देने में अनिच्छुक हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि कई बैंक यह दावा कर रहे हैं कि अगर वे ऐसा करते हैं तो उन्हें घाटा हो सकता है।
इंडियन बैंक के एक प्रबंधक ने स्वीकार करते हुए कहा, ‘कोष के मौजूदा खर्च को देखते हुए इस स्कीम के तहत उधार दिया जाना हमारे लिए पूरी तरह अलाभकारी है। हम आशंका है कि बीमा खर्च का भार, जो ऋण राशि का एक-डेढ़ फीसदी है, भी इस घाटे का कारण बन सकता है।’
पंजाब नेशनल बैंक की शाखाओं में भी ग्राहकों को सिर्फ सामान्य आवास ऋण के बारे में ही जानकारी दी जा रही है। इस तथ्य पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि देश में इस योजना की घोषणा को लगभग ढाई महीने हो गए हैं और अब तक पंजाब नेशनल बैंक द्वारा महज 15 ऋण प्रस्तावों को ही मंजूरी दी गई है और पूरे देश में इसके तहत सिर्फ 1.34 करोड़ रुपये का ऋण दिया गया है।
सार्वजनिक क्षेत्र के कई अन्य बैंकों ने भी योजना के लागू होने के पहले दो महीनों में इसे लेकर उत्साह नहीं दिखाया है। इंडियन बैंक ने 52 प्रस्ताव मंजूर किए हैं और 3.28 करोड़ रुपये के ऋण दिए हैं। यूको बैंक 159 ग्राहकों को 9.7 करोड़ रुपये देने में सफल रहा है।
हालांकि भारतीय स्टेट बैंक की शाखाओं में इस योजना को लेकर दिलचस्पी देखी जा रही है। भारतीय स्टेट बैंक ने 4,414 ग्राहकों को 375 करोड़ रुपये का ऋण दिया है। इस मामले में यह बैंक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में शीर्ष पर बना हुआ है।
बैंक ऑफ इंडिया ने इस योजना को लेकर किसी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। जब इस बैंक से खंबाडी के मामले पर पूछा गया तो बैंक ऑफ इंडिया के महा प्रबंधक (रिटेल) एस. सी. जैन ने कहा कि हम इस मामले पर टिप्पणी नहीं कर सकते।
जानकारों का कहना है कि बैंक इतनी कम दरों पर ऋण देने में मुश्किल महसूस कर रहे हैं। अपनालोन डॉट कॉम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हरीष रूंगटा कहते हैं, ‘पांच साल के लिए ब्याज दरों पर सीमा लगाए जाने और बीमा के अतिरिक्त बोझ के कारण यह योजना बैंकों के लिए फायदेमंद नहीं है।’
अपने आवास ऋण पोर्टफोलियो में बढ़ रहे नन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) की वजह से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक लाभ की तरफ देख रहे हैं। रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की उपाध्यक्ष एवं उप-प्रमुख विभा बत्रा ने कहा, ‘आवास ऋण पोर्टफोलियो के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए 3.5-4 फीसदी है जो निजी बैंकों की तुलना में काफी अधिक है।’