जैसे कि पहले से ही उम्मीद की जा रही थी, सोमवार को वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की सरकारी बैंक के प्रमुखों के साथ हुई बैठक का सकारात्मक नतीजा निकाला है।
देश के सबसे बड़े कर्जदाता बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुआई में सरकारी बैंकों ने आनेवाले दिनों में ब्याज दरों में कटौती पर एक बार फिर से विचार करने की बात कही है। एसबीआई बैंक के अध्यक्ष ओ पी भट्ट ने कहा कि वित्त मंत्री के साथ हुई आज की बैठक के बाद बैंक प्रधान उधारी दर में दूसरी बार कटौती करने पर विचार कर रहा है।
उल्लेखनीय है किएसबीआई ने गत एक जनवरी को अपनी प्रधान उधारी दर में 75 आधार अंकों की कटौती की थी जबकि अभी कुछ दिन पहले ही बैंक ने आवासीय ऋण पर ब्याज दरों में कटौती कर 8 फीसदी कर दिया है। यह कटौती कुछ सीमित अवधि के लिए है और एक वर्ष के बाद दर को पुनर्निधारित किया जाएगा।
सरकारी बैंकों के प्रमुखों की सरकार के साथ हुई बैठक के बाद वित्त सचिव अरुण रामनाथन ने कहा कि जमा दरों में नरमी आने के बाद लोगों के मन में ब्याज दरों में कमी को लेकर उम्मीद फिर से बंधी हैं।
दूसरी तरफ कोलकाता स्थिति यूको बैंक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक एस के गोयल ने कहा कि बैंक अपनी उधारी और जमा दरों में 2 फीसदी तक की कटौती कर सकता है जिसमें 1 फीसदी की कमी इसी महीने किए जाने की संभावना है। यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया ने कहा कि वह जल्द ही अपनी प्रधान उधारी दर में 50 आधार अकों की कटौती करेगा।
पंजाब नैशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा ने कहा कि महंगाई में और कमी आने के बाद दरों में कटौती करेगा। गौरतलब है कि मौजूदा वित्तीय संकट के कारण कई क्षेत्र धन की कमी की समस्या से बुरी तरह जूझ रहे हैं और अधिकांश कंपनियों के लिए तीसरी तिमाही के परिणाम खासा निराशाजनक रहे हैं।
लगातार बदतर होती जा रही स्थिति के मद्देनजर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर वित्तीय प्रणाली में पूंजी उपलब्ध कराने का खासा दबाव है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की सोमवार को सरकारी बैंक के प्रमुखों से हुई बैठक इसी परिप्रेक्ष्य में हुई है।
मंदी के शिकंजे में बुरी तरह से फंस चुकी अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के उद्देश्य से सितंबर के बाद रिजर्व बैंक ने कई क दम उठाए हंस और नकद आरक्षी अनुपात और रेपो रेट में कई बार कटौती की है। इसके अलावा सरकार ने वित्तीय प्रणाली में तरलता को बढाने के लिए सहायता पैकेज की घोषणा भी कर चुकी है।
हालांकि इन उपायों के बावजूद अभी तक कोई ठोस सधार देखने को नहीं मिला है और पिछले सप्प्ताह ही रिजर्व बैंक ने कहा कि सरकारी क्षेत्र के बैंक अपनी उधारी दरों में और कटौती कर सकते हैं। पिछले साल नवंबर के बाद सरकारी क्षेत्र के बैंकों ने कर्ज की दरों में 200 आधार अंकों तक की कटौती कर चुका है जबकि निजी क्षेत्र के बैंकों ने अपनी उधारी दरों में 50 आधार अंकों की कटौती कर चुका है।