रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड ऐंड पुअर्स (एसऐंडपी) ने आज कहा कि भारत में बैंकों ने जहां खराब कर्ज बढऩे से सीख ली है, वहीं वैश्विक मानकों के मुताबिक उनके प्रशासन और पारदर्शिता में कमी बरकरार है। एजेंसी ने ‘ऐज इंडियाज बैंक्स ग्रो अगेन, विल ओल्ड मिस्टेक्स रिटर्न?’ शीर्षक से रिपोर्ट जारी की है। बैंकों के लाइसेंस के लिए भारतीय रिजर्व बैंक मानकों को समरूप और सख्त कर रहा है, जिसकी वजह से काम करने के समान अवसर बनेंगे, साथ ही कुल मिलाकर मानकों में बढ़ोतरी हो रही है। भारत के बैंक एक बार फिर मुनाफे में आ गए हैं और उन्होंने अपनी पूंजी की स्थिति मजबूत की है, जिससे नए चरण के कर्ज में वृद्धि का अवसर मिला है। मजबूत बैलेंस शीट और ज्यादा मांग की वजह से बैंक के कर्ज में अगले दो साल तक सालाना 10 प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि हो सकती है। यह देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में नॉमिनल वृद्धि की तर्ज पर होगा।
एसऐंडपी ने कहा, ‘अगर भारत में एक और कोविड-19 के बड़े असर को हटा दें तो हमारा अनुमान है कि बैंक की संपत्ति की गुणवत्ता के पतन का दौर खत्म हो गया है और अब इसमें सुधार शुरू होगा।’
व्यवस्था में खराब कर्ज का अनुपात 30 सितंबर, 2021 को 10 प्रतिशत के उच्च स्तर के करीब था।
