भारतीय रिजर्व बैंक के लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के तहत चालू वित्त वर्ष में विदेश भेजे जाने वाला धन तेजी से पूर्ववत होने लगा है। कोविड-19 के व्यवधानों के कारण 2020-21 के दौरान इसमें सुस्ती आई थी और प्रवाह प्रभावित हुआ था।
रिजर्व बैंक की ओर से जारी हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि इस योजना के तहत चालू वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों में बाहर भेजा गया थन 13.8 अरब डॉलर रहा, जबकि पूरे वित्त वर्ष 21 में 12.7 अरब डॉलर भेजा गया था।
2021 के अंतिम 3 महीने में रेमिटेंस 4.9 अरब डॉलर रहा। यह मुख्य रूप से विदेश यात्रा व अध्ययन से जुड़ा रेमिटेंस था। रेमिटेक्स के माध्यम से विदेशी विनियम संबंधी सुविधा देने वाली कैपिटल इंडिया ने कहा कि पर्यटन संबंधी यात्रा के लिए कुछ देशों का वीजा खोला जाना एक बड़ी वजह है, जिससे यात्रा से जुड़े रेमिटेंस में तेजी आई है।
कैपिटल इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘यात्रा संबंधी रेमिटेंस बढऩे की कई वजहें हैं। तमाम देशों के दूतावास व कांसुलेट्स अपने एक्सपो 20-20 को प्रोत्साहन दे रही हैं, जिसकी वजह से यूएई की यात्रा में तेजी आई है। विदेशी विश्वविद्यालयों ने अपने विद्यार्थियों से कहा है कि वे अपने संबंधित कॉलेजों विश्वविद्यालयों में पहुंचें और लेक्चर में शामिल हों। इन सभी वजहों से यात्रा संबंधी रेमिटेंस बढ़ा है।’
यात्रा संबंधी रेमिटेंस दिसंबर 2021 में बढ़कर 88.4 करोड़ डॉलर हो गया था, जो नवंबर में 45.6 करोड़ डॉलर था। विदेश में पढ़ाई संबंधी रेमिटेंस दिसंबर में गिरकर 25.4 करोड़ डॉलर हो गया, जो अक्टूबर में 58.0 करोड़ डॉलर और नवंबर में 48.2 करोड़ डॉलर था।
दिसंबर में विदेश में कुल भेजा गया धन 1.78 अरब डॉलर था, जो नवंबर और अक्टूबर में 1.5-1.5 अरब डॉलर था।
एलआरएस योजना के तहत अल्पसंख्यक सहित सभी व्यक्तियों को हर साल किसी चालू या पूंजी खाते या दोनों के माध्यम से हर वित्त वर्ष में 2,50,000 डॉलर तक भेजने की अनुमति है। व्यक्तियों के लिए एलआरएस चालू व पूंजी खाते दोनों के लेन-देन से जुड़ा है, यह व्यापक रूप से यात्रा, अध्ययन आदि संबंधी चालू खाते का ट्रांजैक्शन है।
