कर्मचारी भविष्य निधि का केंद्रीय न्यासी बोर्ड चालू वित्त वर्ष में कर्मचारी भविष्य निधि के ब्याज दरों पर किसी तरह के परिवर्तन को लेकर ऊपर इस महीने की 22 तारीख को बैठक कर सकता है।
इस बैठक में आगामी वित्त वर्ष केलिए भी दरों में परिवर्तन को लेकर कोई फैसला किए जाने की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि महंगाई के स्तर में तेजी से आ रही कमी ने कर्मचारी भविष्य निधि पर मौजूदा 8.5 फीसदी के ब्याज दरों में किसी भी बढ़ोतरी को लेकर संभावनाएं कम कर दी हैं।
कई लोग तो मौजूदा दर में भी कटौती की संभावना व्यक्त कर रहे हैं। गौरतलब है कि मौजूदा 8.5 फीसदी की ब्याज दर वित्त वर्ष 2007-08 के लिए ही वैध है जबकि चालू वित्त वर्ष के लिए अभी तक नई दर की घोषणा नहीं की गई है।
हालांकि सीबीटी के सूत्रों का कहना है कि अगर दरों में कमी करने की बात किसी भी रूप में सामने आई तो इस कठिन फैसले को आगामी आम चुनाव तक के लिए टाला जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि इस संभावित बैठक के पीछे श्रम मंत्रालय और सीबीटी के सदस्यों ,जो भारतीय रिजर्व बैंक की विशेष जमा योजना में निवेश करते हैं, की इस योजना को आगे के निवेश केलिए भी खोले जाने की मांग भी रही है।
रिजर्व बैंक की सभी जमा योजना में किए जाने वाले निवेश पर प्रशासनिक ब्याज दरों का भुगतान किया जाता है। गौरतलब है कि सामान्य कर्मचारी भविष्य निधि और कर्मचारी भविष्य निधि सहित सभी सभी छोटी योजनाओं के लिए इन दरों में काफी गिरावट आई है और यह 12 फीसदी से घटकर 8 फीसदी के स्तर तक आ गई है।
इससे पहले तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने श्रम मंत्रालय को इन योजनाओं से अपनी जमा राशि के आहरण करने को कहा जिसमें किसी भी मामलों में इस दशक की शुरूआत में कर्मचारी भविष्य निधि से नई रकम लेना बंद कर दिया था।
सूत्रों के अनुसार इसके बाद श्रम मंत्रालय ने मौजूदा वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी को पत्र लिखकर विशेष जमा योजना में निवेश की अनुमति मांगी थी। सीबीटी सदस्य और सीआईटीयू सचिव वी आर वरदराजन का कहना है कि अब जबकि धन की कमी को पूरा करने के लिए सरकार नीलामी प्रक्रिया के तहत बाजार में बॉन्ड जारी करती है ।
जहां खरीदार ब्याज दरों का प्रतिस्पार्धत्मक अंडरबिडिंग करता है। इसकेबाद खरीदार बॉन्ड को द्वितीयक बाजार में बेच देता है तब सरकारी बॉन्ड पर मुनाफे में और कमी आती है।