भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों में जमा की रफ्तार सुस्त होने और कर्ज दिए जाने की रफ्तार तेज होने को लेकर चिंता जताए जाने के बीच अब ऋण में वृद्धि, जमा में हुई वृद्धि से पीछे छूट गई है। एसबीआई रिसर्च ने सोमवार बताया कि वित्त वर्ष 2022 से अब तक के ताजा आंकड़ों तक वृद्धिशील जमा वृद्धि 61 लाख करोड़ रुपये रही है, जो वृद्धिशील ऋण वृद्धि 59 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।
रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इस तरह जमा वृद्धि में गिरावट की बात महज एक सांख्यिकीय मिथक लगती है। इसमें जमा की तुलना में ऋण वृद्धि तेज होने को जमा में मंदी के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।’
रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 26 जुलाई तक बैंक ऋण में वृद्धि सालाना आधार पर 13.7 फीसदी रही है, जबकि जमा में वृद्धि इस अवधि के दौरान 10.6 फीसदी रही है।
एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले भी ऋण और जमा वृद्धि में अंतर 2 से 4 साल तक चला है। अभी ऋण और जमा के बीच अंतर 26 महीने से चल रहा है। ऐसे में इस अंतर का चक्र जून-अक्टूबर 2025 में खत्म हो सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इस अवधि के बाद जमा वृद्धि बढ़ सकती है और ऋण वृद्धि काफी सुस्त हो सकती है, जो दर में पलटाव के संकेतक हैं। कुछ हद तक वृद्धि में सुस्ती दिख सकती है।’
रिपोर्ट में बचत खाता जमा में स्थिरता को लेकर भी चेतावनी देते हुए कहा है कि यह एक अहम मसला हो सकता है क्योंकि अब इसका इस्तेमाल पूरी तरह से लेनदेन और ज्यादातर UPI लेनदेन में हो रहा है। इसके साथ ही बचत खाता में जमा घटने से बैंकिंग व्यवस्था में चालू खाता और बचत खाता (CASA) जमा में कमी आ रही है। वित्त वर्ष 2024 में कासा जमा घटकर 41 फीसदी रह गया, जो वित्त वर्ष 2023 मे 43.5 प्रतिशत था।
कासा जमा घट रहा है, वहीं सावधि जमा में तेजी आई है। कुल जमा में सावधि जमा की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2024 में 59 फीसदी हो गई, जो वित्त वर्ष 2023 में 56.5 फीसदी थी।