घोटाले में फंसे पंजाब ऐंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक (पीएमसी) और यूनिटी स्माल फाइनैंस बैंक की मसौदा विलय योजना में 5 लाख रुपये तक जमा करने वालों को तात्कालिक राहत दी गई है, लेकिन उन लोगों को संभवत: लंबा इंतजार करना पड़ेगा, जिन्होंने अपनी जिंदगी की पूरी कमाई बैंक में जमा कर दी थी।
मसौदा योजना के मुताबिक खुदरा निवेशकों को जमा बीमा और कर्ज गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से 5 लाख रुपये तक की राशि तत्काल यह रशि मिल सकी है और 10 साल बाद पूरा जमा निकालने के पहले कुछ और चरणों में उन्हें कुछ धनराशि दी जा सकती है।
बहरहाल उन्हें इस साल 31 मार्च से अगले 5 साल तक उनकी जमा राशि पर कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा।
रिजर्व बैंक द्वारा उसकी वेबसाइट पर जारी योजना के मुताबिक 10 लाख रुपये तक के जमाकर्ताओं को ज्यादातर राशि 4 साल में निकालने की अनुमति मिल सकती है। लेकिन जिन लोगों ने 15 लाख रुपये से ज्यादा जमा किया है, उन्हें अपना धन पाने के लिए 5 साल इंतजार करना होगा। जिन लोगों ने 15 लाख रुपये से ज्यादा जमा किए हैं, उन्हें 10 साल के बाद ही अपना पूरा धन मिल पाएगा।
संकट में फंसे कई राज्यों में संचालित सहकारी बैंक में 9,24,345 जमाकर्ता हैं, जिसमें से 20,645 लोगों ने 10 लाख रुपये से ज्यादा जमा किया है। इन 20,645 जमाकर्ताओं के 7,126 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं, जो बैंक में जमा कुल 11,800 करोड़ रुपये राशि का 60 प्रतिशत है।
साथ ही जब नया बैंक आरंभिक सार्वजनिक पेशकश के लिए जाएगा, तो संस्थागत निवेशकों को अपने जमा का 80 प्रतिशत एक प्रतिशत सालाना लाभांश पर स्थाई गैर संचयी वरीयता शेयर (पीएनसीपीएस) के रूप में मिलेगा और 20 प्रतिशत राशि इक्विटी शेयर में बदला जाएगा।
बहरहाल यह एक मसौदा है, अंतिम फैसला नहीं। इस मसौदे पर रिजर्व बैंक को 10 दिसंबर तक प्रतिक्रिया भेजी जा सकती है। उसके बाद रिजर्व बैंक इस मसले पर अंतिम निर्णय लेगा।
जमाकर्ताओं को भुगतान कुछ इस रूप में मिल सकेगा।
डीआईसीजीसी 5 लाख रुपये गारंटीयुक्त जमा बैंक को शुरुआत में देगा, जो खुदरा जमाकर्ताओं को भुगतान के लिए होगा। बैंक के पास इस राशि को डीआईसीजीसी को भुगतान के लिए 20 साल का वक्त होगा। अगर प्रस्तावित योजना को अंतिम रूप दे दिया जाता है तो यूनिटी-एसएफबी, जिसे एनबीएफसी से बैंक में बदल दिया गया है, उसे अभी जमाकर्ताओं को अपनी जेब से कुछ भी भुगतान नहीं करना होगा। अभी 8.8 लाख जमाकर्ताओं को करीब 3,100 करोड़ रुपये भुगतान किया जाना है, वह डीआईसीजीसी से मिलेगा।
योजना में कहा गया है कि 5 लाख रुपये जमा को अभी वापस कर दिया जाएगा। वहीं 50,000 रुपये 2 साल बाद दिए जाएंगे। उसके बाद 1 लाख रुपये (कुल 6.5 लाख रुपये) निकालने की अनुमति 3 साल बाद होगी और 4 साल बाद 3 लाख रुपये और (9.5 लाख रुपये) निकाला जा सकेगा। फिर 5 साल बाद 5.5 लाख रुपये निकाला जा सकेगा। कुल मिलाकर जिन जमाकर्ताओं ने 15 लाख रुपये तक जमा किए हैं, उन्हें पूरा धन 5 साल बाद मिल जाएगा।
जिनका 15 लाख रुपये से ज्यादा जमा है, उन्हें पूरा धन 10 साल बाद ही मिल पाएगा। पूरी शेष जमा राशि का भुगतान 10 साल बाद मांग के मुताबिक किया जाएगा।
मसौदे में कहा गया है, ‘नियुक्ति की तिथि के बाद 5 साल तक जमा पर नए बैंक को कोई ब्याज भुगतान नहीं करना होगा।’
एक आक्रोषित जमाकर्ता ने कहा, ‘पीएमसी बैंक में पैसे जमा करने वाले करीब 37 प्रतिशत लोग वरिष्ठ नागरिक हैं। उन्हेें अपना धन पाने के लिए लंबा इंतजार करना होगा।’ कुछ जमाकर्ताओं ने कहा कि मसौदा योजना के खिलाफ वे प्रदर्शन करेंगे।
चालू खाते में जमा धन पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा। लेकिन खुदरा जमाकर्ताओं को 5 साल के बाद 2.75 प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान किया जाएगा। मसौदे में कहा गया है, ‘इस ब्याज दर की देयता नियुक्ति की तिथि के 5 साल बाद होगी।’
निर्यात 18.8 प्रतिशत बढ़कर 20.01 अरब डॉलर
देश का निर्यात नवंबर महीने में अब तक 18.8 प्रतिशत बढ़कर 20.01 अरब डॉलर रहा है। वाणिज्य मंत्रालय के शुरुआती आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
मंत्रालय ने एक से 21 नवंबर के आंकड़े जारी करते हुए कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों, इंजीनियरिंग सामान, रसायन तथा रत्न एवं आभूषण क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन की वजह से निर्यात बढ़ा है। हालांकि नवंबर के पहले तीन सप्ताह में आयात भी 45.34 प्रतिशत बढ़कर 35.11 अरब डॉलर पर पहुंच गया। पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 24.15 अरब डॉलर रहा था।
चालू वित्त वर्ष में निर्यात वृद्धि की रफ्तार अच्छी चल रही है। ऐसे में 400 अरब डॉलर का निर्यात लक्ष्य हासिल होने की उम्मीद है। अक्टूबर में निर्यात 43 प्रतिशत के उछाल के साथ 35.65 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। वहीं माह के दौरान व्यापार घाटा बढ़कर 19.73 अरब डॉलर रहा था।
नवंबर में अब तक जिन निर्यात क्षेत्रों का प्रदर्शन अच्छा रहा है उनमें पेट्रोलियम, कॉफी, इंजीनियरिंग सामान, सूती धागे, रत्न एवं आभूषण, रसायन, प्लास्टिक और समुद्री उत्पाद शामिल हैं। भाषा