कर्ज लेने वालों से मोटी ब्याज दर और अग्रिम प्रक्रिया शुल्क वसूलने तथा वसूली करने वाले अपने एजेंटों की मार्फत उन्हें परेशान करने वाले ऑनलाइन ऋण प्रदाता प्लेटफॉर्म (ओएलपी) का मसला एक बार फिर सुर्खियों में है। पिछले सप्ताह दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक ऐसी जनहित याचिका पर सुनवाई की थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि ऑनलाइन ऋण देने वाले प्लेटफॉर्म सालाना 500 फीसदी तक की ऊंची ब्याज दर और 30 फीसदी तक का प्रक्रिया शुल्क वसूलते हैं। जब तक इन संस्थाओं के खिलाफ कोई विनियामकीय कार्रवाई नहीं की जाती है, तब तक कर्ज लेने वालों को अपने हितों का खुद ही खयाल रखने की जरूरत है।
विनियमित संस्थाओं के साथ रहें
ज्यादातर दिक्कतें आय पर आधारित अल्पकालिक ऋण – पेडे लोन के वर्ग में होती हैं। यह पांच से 30 दिनों के लिए दिए जाने वाले औसतन छोटे आकार (उदाहरण के लिए 10,000 रुपये से 20,000 रुपये तक) का ऋण होता है। इंडियालेंड्स के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी गौरव चोपड़ा कहते हैं ‘ज्यादातर वैध बैंक या गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) ये कर्ज नहीं देती हैं। जहां तक संभव हो, उनसे बचें और अगर आप कर्ज लेते हैं, तो यह बात सुनिश्चित कर लें कि आप समय पर भुगतान कर रहे हैं।’ कर्ज लेने वालों को उद्योग की संरचना भी समझनी चाहिए। इन ओएलपी का स्रोत ग्राहक होते हैं। आम तौर पर कोई ऐसी सहायक कंपनी पूंजी प्रदान करती है, जो आरबीआई से पंजीकृत एनबीएफसी होती है। कई ओएलपी बैंकों के लिए भी ग्राहकों को स्रोत बनाती हैं। इन्हें भी आरबीआई द्वारा विनियमित किया जाता है। हमेशा ऐसी संस्थाओं के पास जाना ही बेहतर होता है, जिनके पीछे आरबीआई द्वारा विनियमित ऋणदाता रहता है। चोपड़ा कहते हैं ‘आप जो ऋण अनुबंध करते हैं, उस पर कर्ज देने वाले बैंक या एनबीएफसी का नाम होगा।’ आरबीआई द्वारा 24 जून, 2020 को जारी परिपत्र के अनुसार बैंक और एनबीएफसी अपने साझेदारों के कृत्यों के लिए जिम्मेदार होती हैं, भले ही वे ऋण देने वाले अपने खुद के डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिये कर्ज दें या किसी आउटसोर्स वाले प्लेटफॉर्म के जरिये।
प्रसिद्ध ब्रांडों के साथ जुडऩे में सुरक्षा रहती है। जोखिम और विश्लेष्ण संबंधित इनक्रेड के अध्यक्ष पृथ्वी चंद्रशेखर कहते हैं ‘जिस वेबसाइट से आप कर्ज ले रहे हैं, उसकी कुछ जांच कर लें। यह पता लगाएं कि इसने निवेशकों से कितना पैसा जुटाया है, क्या इसमें अच्छी-खासी पूंजी है और क्या यह किसी वेंचर कैपिटल फर्म द्वारा समर्थित है।’ अदालत की सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई कि विशुद्ध प्लेटफॉर्म आरबीआई द्वारा विनियमित नहीं होते हैं। ऐसी अनियमित संस्थाओं से कर्ज लेकर आप सर्वाधिक जोखिम उठाएंगे, खास तौर पर छोटी और अनजान संस्थाओं से। यह सुनिश्चित करने के अलावा कि आप किसी वैध संस्था से कर्ज ले रहे हैं, यह बात भी पुख्ता कर लें कि कहीं आप ज्यादा भुगतान तो नहीं कर रहे हैं।
समझदारी से चुनें ऐप
जब आप डिजिटल ऋणदाता से ऐप डाउनलोड करते हैं, तो वे कर्ज लेने वाले के मोबाइल फोन पर डेटा तक पहुंचने की अनुमति मांगते हैं। इस तरह वे उसकी संपर्क सूची तक पहुंच बना लेते हैं। कर्ज लेने वाले को शर्मिंदा करने की कोशिश में उसके मित्रों और रिश्तेदारों को कॉल करने के लिए कभी-कभार इसका दुरुपयोग किया जाता है। मोजिला के सार्वजनिक नीति सलाहकार उद्धव तिवारी कहते हैं ‘ज्यादातर मामलों में अगर आप यह अनुमति नहीं देते हैं, तो आप पैसे उधार नहीं ले पाएंगे।’ उनके अनुसार आप सबसे अच्छा काम यह कर सकते हैं कि ऐप की गोपनीयता नीतियों की जांच कीजिए और इसकी डेटा कार्यप्रणाली को समझिए। यह जानने के लिए इंटरनेट पर समीक्षाएं पढि़ए कि क्या यह ऐप भरोसमंद है अथवा क्या उधारकर्ताओं को परेशान करने का इसका पुराना रिकॉर्ड है। तिवारी कहते हैं कि आप जो सबसे अच्छा काम कर सकते हैं, वह यह है कि आप अपनी पसंद की ऐप चुनने में सावधान रहें। इसके अलावा वसूली एजेंटों की तरफ से मनमानी वाली रणनीति या अपमानजनक भाषा बर्दाश्त न करें। इस संबंध में बैंक या एनबीएफसी के लोकपाल से शिकायत करें।
अच्छा क्रेडिट स्कोर बनाए रखें
मुसीबत की ऐसी घड़ी में पडऩे से बचें कि आपको अल्पावधि ऋण के लिए अनजान ऋणदाताओं से संपर्क करना पड़े। माईवेल्थग्रोथ डॉट कॉम के सह-संस्थापक हर्षद चेतनवाला कहते हैं, ‘अच्छा के्रडिट स्कोर और इतिहास बनाए रखें ताकि आप किसी बैंक या एनबीएफसी से व्यक्तिगत ऋण हासिल कर सकें।’
अगर आपने किसी विनियमित संस्था से कर्ज लिया हुआ है, तो आपके लिए आरबीआई का शिकायत निवारण चैनल उपलब्ध हैं। अंत में, ओएलपी से कर्ज को उतनी ही गंभीरता से लें जितना आप किसी बैंक या एनबीएफसी से कर्ज को लेंगे अथवा के्रडिट कार्ड के बकाया को लेंगे। केवल इसलिए ही इनका ज्यादा फायदा न उठाएं कि ये ऋण आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।