परपेचुअल बॉन्ड पर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के परिपत्र संबंधी विवाद के बीच वाणिज्यिक बैंकों, विशेष तौर पर सार्वजनिक क्षेत्र के ऋणदाताओं की उस योजना पर अनिश्चितता के बादल छा गए हैं जिसके तहत वे अगले वित्त वर्ष के दौरान अतिरिक्त टियर-1 (एटी1) बॉन्ड के जरिये करीब 30,000 करोड़ रुपये जुटाना चाहते थे। जल्द परिपक्व होने वाले मौजूदा बॉन्ड के कुछ हिस्सों को बदलने और वृद्धि के लिए पूंजी प्रोफाइल को बेहतर करने के उद्देश्य से यह योजना तैयार की गई थी।
भारतीय स्टेट बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बैंकिंग उद्योग पर इसका प्रभाव काफी बड़ा है। एसबीआई के पास करीब
22 लाख करोड़ डॉलर की रिस्क-वेटेड ऐसेट्स (आरडब्ल्यूए) है और वह उसके करीब 1.5 फीसदी यानी करीब 32 से 33 हजार करोड़ रुपये तक का एटी1 बॉन्ड जारी कर सकता है। अधिकारी ने कहा, ‘यदि यह अवसर (एटी1 बॉन्ड) हमारे लिए और अन्य बैंकों के लिए उपलब्ध नहीं होगा तो पूंजी जुटाने की पहल को तगड़ा झटका लग सकता है।’
बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि बैंकिंग प्रणाली में आरडब्ल्यूए लगभग 100 लाख करोड़ रुपये का है और इससे लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये के एटी1 बॉन्ड जारी किए जा सकते हैं। सालाना लगभग 20 से 25 फीसदी बॉन्ड (रीप्लेसमेंट और वृद्धि के लिए) जारी होने यानी लगभग 30,000 से 40,000 करोड़ होने जुटाए जाने का अनुमान है।
एक बड़े निजी बैंक के एक मुख्य वित्तीय अधिकारी ने कहा कि इस प्रकार की योजनाओं (एटी1 बॉन्ड) में कम दिलचस्पी हो सकती है क्योंकि म्युचुअल फंड निवेशक इससे दूरी बना रहे हैं। हालांकि एटी1 बॉन्ड पूंजी का मुख्य घटक नहीं हैं लेकिन इस विवाद ने वित्त वर्ष 2022 के लिए पूंजी नियोजन को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। बैंक पहले ही इस मामले को वित्त मंत्रालय के समक्ष उठा चुके हैं। सरकार ने वित्त वर्ष 22 में बैंकों को 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी देने का वादा है किया है और इससे अतिरिक्त रकम देने के लिए उसके पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। इस बीच, तमाम अनिश्चितताओं के बावजूद बैंकों द्वारा जारी किए गए परपेचुअल बॉन्ड पर प्रतिफल में लगातार वृद्धि हो रही है। बाजार में मौजूद अधिकतर एटी1 बॉन्ड सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के हैं। एसबीआई के परपेचुअल बॉन्ड को बेहतरीन माना जाता है और सेबी के परिपत्र के बाद उसके प्रतिफल में तेजी आई है। खरीद-फरोख्त किए गए बॉन्ड का भारित औसत प्रतिफल 8.18 फीसदी रहा है जबकि परिपत्र से पहले वह 7.28 फीसदी पर बंद हुआ था।
इस प्रकार प्रतिफल में 90 आधार अंकों से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई और सोमवार को बाजार खुलने पर उनमें से अधिकांश तेजी दर्ज की गई। चेन्नई के इंडियन बैंक के परपेचुअल बॉन्ड अब 9.31 फीसदी पर कारोबार कर रहे हैं जबकि बैंक ऑफ बड़ौदा के मामले में यह आंकड़ा 8.84 फीसदी और केनरा बैंक के मामले में 8.50 फीसदी है।
