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बैंकों को कोविड की दूसरी लहर का कम लगेगा झटका

Last Updated- December 12, 2022 | 6:25 AM IST

कोविड-19 वैश्विक महामारी की दूसरी लहर को देखते हुए देश के कई हिस्सों में नए सिरे से लॉकडाउन लगाए जा रहे हैं। हालांकि जानकारों का कहना है कि इस बार लॉकडाउन से बैंकों को अधिक झटका नहीं लगेगा। बैंकों के अधिकांश परिचालन दुरुस्त हो चुके हैं। साथ ही बैंकरों ने ग्राहकों से मुलाकात के बिना बातचीत और घर से काम जैसे नए विचारों पर अमल किया है ताकि कामकाज को निर्बाध तरीके से निपटाया जा सके।
कारोबार के मोर्चे पर मोहलत की अवधि खत्म होने के बाद डूबते ऋण में वृद्धि की आशंका जताई गई थी लेकिन उसकी स्थिति कहीं बेहतर दिख रही है। बैंकिंग क्षेत्र वित्त वर्ष 2022 में सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहा है। विश्लेषकों ने वित्त वर्ष 2022 के दौरान ऋण में 10 से 12 फीसदी की वृद्धि होने का अनुमान लगाया है। हालांकि यह पांच साल के औसत 15.5 फीसदी के मुकाबले कम है लेकिन वित्त वर्ष 2022 के लिए अनुमान वित्त वर्ष 2021 के मुकाबले करीब 400 आधार अंक अधिक है। खुदरा श्रेणी में आवास एवं वाहन ऋण में उल्लेखनीय वृद्धि होने के आसार हैं जबकि कॉरपोरेट सावधि ऋण की मांग में औसत सुधार होने की उम्मीद है।
हालांकि परिसंपत्ति गुणवत्ता के मोर्चे पर कुछ राहत मिल सकती है। गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) को प्रोफार्मा दर्ज आंकड़ों के मुकाबले 100 से 150 आधार अंक अधिक होने के साथ ही चौथी तिमाही में डूबते ऋण की स्थिति बेहतर होगी क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने परिसंपत्ति वर्गीकरण पर स्थगन को खत्म कर दिया है। इस प्रकार वित्त वर्ष 2022 में परिसंपत्ति गुणवत्ता का नया दबाव अधिक नहीं रहेगा जो बैंकों के लिए राहत की बात होगी।
विश्लेषकों के अनुमानों के आधार पर बैंकों ने तीसरी तिमाही तक 50 से 60 फीसदी प्रोफार्मा उपलब्ध कराया है। ऐक्सिस सिक्योरिटीज के विश्लेषकों ने कहा, ‘चौथी तिमाही में बैंकों को वास्तविक एनपीए का खुलासा करना होगा जिससे मार्जिन पर कुछ दबाव और स्लीपेज में वृद्धि दिख सकती है। हालांकि हमें परिसंपत्ति गुणवत्ता के मोर्चे पर बेहतर स्पष्टता की उम्मीद है। एनपीए के वास्तविक खुलासे से आईसीआईसीआई जैसे कुछ बैंकों के प्रावधानों में कमी हो सकती है जिनका प्रावधान कवरेज अपेक्षाकृत अधिक है।’

First Published - April 1, 2021 | 11:46 PM IST

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