facebookmetapixel
New Year Eve: Swiggy, Zomato से आज नहीं कर सकेंगे ऑर्डर? 1.5 लाख डिलीवरी वर्कर्स हड़ताल परGold silver price today: साल के अंतिम दिन मुनाफावसूली से लुढ़के सोना चांदी, चेक करें ताजा भाव2026 के लिए पोर्टफोलियो में रखें ये 3 ‘धुरंधर’ शेयर, Choice Broking ने बनाया टॉप पिकWeather Update Today: उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड और घना कोहरा, जनजीवन अस्त-व्यस्त; मौसम विभाग ने जारी की चेतावनीShare Market Update: बढ़त के साथ खुला बाजार, सेंसेक्स 200 अंक ऊपर; निफ्टी 26 हजार के पारStocks To Watch Today: डील, डिमांड और डिफेंस ऑर्डर, आज इन शेयरों पर रहेगी बाजार की नजरघने कोहरे की मार: दिल्ली समेत पूरे उतरी क्षेत्र में 180 से अधिक उड़ानें रद्द, सैकड़ों विमान देरी से संचालितनए साल पर होटलों में अंतिम समय की बुकिंग बढ़ी, पर फूड डिलिवरी करने वाले गिग वर्कर्स के हड़ताल से दबावबांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन, विदेश मंत्री एस जयशंकर ढाका जाएंगे अंतिम संस्कार मेंकमजोर गर्मी-लंबे मॉनसून के चलते 2025 में सुस्त रहा उपभोक्ता टिकाऊ सामान बाजार, पर GST कटौती से राहत

एनपीए की चिंता से बैंकों के पसीने छूटे

Last Updated- December 09, 2022 | 11:26 PM IST

गैर-निष्पादित धन के निपटारे की समस्या बैंकों के लिए नासूर बनती जा रही है। इस संबंध में बैंकों ने अपनी चिंताओं से भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव को अवगत करा दिया है।


साथ ही बैंकों ने इस बात की भी संभावना जताई है कि कंपनियां अपने आय में हो रही कमी को देखते हुए अपने फंडों का निवेश एक परियोजना से हटाकर दूसरी परियोजना में कर सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि दिसंबर तिमाही केदौरान कंपनियों के शुध्द मुनाफे में आई कमी से बैंकों के लिए एनपीए की समस्या और गहराती जा रही है।

इस बाबत एक सरकारी बैंक के प्रमुख ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि आर्थिक हालात में सुधार के अभी तक कोई संकेत नहीं मिले हैं और जैसा कि पहले आशा की जा रही थी कि मंदी कुछ समय के लिए हैं, ऐसा बिल्कुल नहीं है।

उन्होंने कहा कि हालात के एक बार फिर से पटरी पर आने में अभी खासा समय लग सकता है। आरबीआई ने वर्ष 2008-09 के लिए विकास के अनुमानित लक्ष्य को कम कर दिया है। मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान इसके 7.5-8 फीसदी से घटकर 7 फीसदी रहने की बात कही गई है।

औद्योगिक गतिविधियों में कमी और बाहरी मांगों में गिरावट के कारण अर्थव्यवस्था के विकास की रफ्तार के कम होने के खतरे को और ज्यादा बढा दिया है।

First Published - January 29, 2009 | 9:02 PM IST

संबंधित पोस्ट