गैर-निष्पादित धन के निपटारे की समस्या बैंकों के लिए नासूर बनती जा रही है। इस संबंध में बैंकों ने अपनी चिंताओं से भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव को अवगत करा दिया है।
साथ ही बैंकों ने इस बात की भी संभावना जताई है कि कंपनियां अपने आय में हो रही कमी को देखते हुए अपने फंडों का निवेश एक परियोजना से हटाकर दूसरी परियोजना में कर सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि दिसंबर तिमाही केदौरान कंपनियों के शुध्द मुनाफे में आई कमी से बैंकों के लिए एनपीए की समस्या और गहराती जा रही है।
इस बाबत एक सरकारी बैंक के प्रमुख ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि आर्थिक हालात में सुधार के अभी तक कोई संकेत नहीं मिले हैं और जैसा कि पहले आशा की जा रही थी कि मंदी कुछ समय के लिए हैं, ऐसा बिल्कुल नहीं है।
उन्होंने कहा कि हालात के एक बार फिर से पटरी पर आने में अभी खासा समय लग सकता है। आरबीआई ने वर्ष 2008-09 के लिए विकास के अनुमानित लक्ष्य को कम कर दिया है। मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान इसके 7.5-8 फीसदी से घटकर 7 फीसदी रहने की बात कही गई है।
औद्योगिक गतिविधियों में कमी और बाहरी मांगों में गिरावट के कारण अर्थव्यवस्था के विकास की रफ्तार के कम होने के खतरे को और ज्यादा बढा दिया है।