बैंकों ने इंस्टीटयूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स (आईसीएआई) के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है जिसमें संस्थान ने चार्टर्ड एकाउंटेट के कर वसूली ट्राईब्यूनल (डीआरटी) के सामने अपने क्लाइंटों का प्रतिनिधित्व करने की बात कही थी।
बैंक ने आईसीएआई के प्रस्ताव को इसके लिए कानूनी जानकारी और कुशलता की आवश्यकता का हवाला देते हुए खारिज किया है। उल्लेखनीय है कि इस ट्राईब्यूनल की स्थापना बैंकों की ऋण वसूली संबंधी मामलों की कानूनी निपटारे के लिए की गई थी जो सिविल कोर्ट की जगह काम करती है।
बैंकरों के अनुसार संबंध्द विषय-वस्तु की विशिष्ठ जानकारी रखने वाले अधिवक्ताओं को ही ट्राईब्यूनल के सामने मामलों पर बहस करने की इजाजत होती है। बैंकरों के अनुसार इस लिहाज से चार्टर्ड एकाउंटेंट को डीआरटी के सामने उपस्थिति होने की अनुमति देना उचित नहीं है क्योंकि ट्राईब्यूनल के सामने किसी मामले पर बहस करने की उनमें अनवार्य योग्यता का अभाव है।