बैंकों की दिलचस्पी धीरे-धीरे गैर जमानती (असुरक्षित) ऋण बाजार में कम हो रही है।
ऋणों की वापसी में कठिनाई और बढ़ते हुये बकाया के बीच बैंकों ने असुरक्षित ऋण बाजार से दूर रहने का इरादा किया है। भारतीय रिजर्व बैंक की माइक्रोइकनोमिक और मॉनिटरी डेवलेपमेंट पर प्रकाशित रिपोर्ट को यदि संज्ञान में लिया जाए तो बैंकों के पर्सलन लोन पोर्टफोलियो की वृध्दि दर 15 फरवरी 2008 तक 13.2 फीसदी रही।
बैंकों ने इस दौरान कुल 58,669 करोड़ रुपये केवैयक्तिक ऋण बांटे। जबकि पिछले वर्ष इसी दौरान बैंकों के पर्सनल लोन पोर्टफोलियो की वृध्दि दर 30.6 फीसदी रही थी। इस क्षेत्र के बड़े खिलाड़ी जैसे आईसीआईसीआई बैंक,सिटी फाइनैंशियल बैंक और जीई मनी ने बिगड़ते जोखिम वापसी अनुपात की वजह से इस पोर्टफोलियो से दूर रहने का इरादा किया है।
लगातार बढ़ते न्यायिक हस्तक्षेप और नियामकों के झटकों उदाहरण के लिये लोन की वापसी के लिये रिकवरी एजेंट इस्तेमाल करने परआईसीआईसीआई बैंक नोटिस दिये जाने जैसे मामलों ने प्राइवेट सेक्टर केबैंकों ,विदेशी बैंकों और एनबीएफसी को इस टिकट साइज पर्सनल लोन सेगमेंट से(एसटीपीएल) से दूर रहने के लिये मजबूर किया है।
भारत के दूसरे सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक सब-प्राइम श्रेणी के ग्राहकों को लोन देना बंद कर दिया था और छोटे लोन के सबसे बड़े खिलाड़ी सिटीग्रुप ने लोन लेने की प्रक्रिया को और अधिक कठिन बना दिया।आईसीआईसीआई बैंक की संयुक्त प्रबंध निदेशक चंदा कोचर का कहना है कि पर्सनल लोन सेगमेंट पोर्टफोलियो के कमजोर प्रदर्शन के कारण हमनें इस सेक्टर में क्रेडिट स्क्रीनिंग को कठिन बना दिया है।
ऋणों की वापसी में बढ़ती कठिनाई और बढ़ते रिस्क रिवार्ड रेशियो के कारण हमने इस सेक्टर में अपने कारोबार को धीमा करने का इरादा किया है।पर्सनल लोन सेगमेंट में व्याप्त मंदी केबावजूद क्रेडिट कार्ड का बाजार 15 फरवरी 2008 तक 62.42 फीसदी बढ़कर 6,502 करोड़ रुपये का हो गया जबकि पिछले साल इसी दौरान क्रेडिट कार्ड का कारोबार 4,003 करोड़ रुपये रहा था।
बैंक अब उपभोक्ताओं को क्रेडिट कार्ड के जरिये उत्पादों के खरीदने के प्रोत्साहित कर रहे हैं क्योंकि यह प्रक्रिया कम खर्चीली है और इसमें तेजी से भुगतान होता है।आईसीआईसीआई बैंक ने भी अपने उपभोक्ता वस्तु फाइनैंसिंग में पोस्ट डेटेड चेक से भुगतान की जगह क्रेडिट कार्ड से भुगतान की प्रक्रिया को अपनाया है। इससे क्रेडिट कार्ड पर टिकेट साइज खर्च बढ़ा है।
एक प्राइवेट बैंक के क्रेडिट कार्ड सेक्शन के प्रमुख उपभोक्ता क्रेडिट कार्ड को आसानी से भुगतान करने वाले रास्ते के रुप में देख रहे हैं। कार्डों पर खर्चा बढ़ना जारी रहेगा।बैंकों के होम लोन सेगमेंट को भी मंदी का सामना करना पड़ा है। बैंकों का यह पोर्टफोलियो 15 फरवरी 2008 तक मात्र 12 फीसदी बढ़कर 26,930 करोड़ रुपये पर पहुंचा जो पिछले साल के इसी समय के दौरान 25.8 फीसदी की वृध्दि दर के साथ 46,019 करोड़ रुपये रहा था।
एक सीनियर बैंकर का कहना है कि लगातार बढ़ती ब्याज दरों की वजह से भी बैकिंग सेक्टर में लोन की संख्या में कमी आई है। संपत्ति की बढ़ती कीमतों की वजह से लोगों ने होम लोन से दूरी बना ली है। बैंकों का रियल एस्टेट सेक्टर केलिये क्रेडिट ग्रोथ 15 फरवरी 2008 तक धीमी रहकर 26.7 फीसदी पर रही जबकि पिछले साल इसी दौरान यह वृध्दि दर 79 फीसदी रही थी।
बैंकों ने अपने लोन पोर्टफोलियो को भी संतुलित किया है। बैंकों ने अब कारपोरेट सेक्टर को क्रेडिट लोन देने पर अधिक विश्वास दिखाया है। 15 फरवरी 2008 तक बैंकों के इस सेक्टर पर बढ़ते खर्चे पर यदि निगाह डाली जाए तो इस क्षेत्र में बैंकों के फोकस में 45 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है जोकि पिछले साल की इसी तिमाही के दौरान 36 फीसदी रहा था।
बैंकों के इस नॉन-फूड क्रेडिट का प्रसार बुनियादी ढंाचे (बिजली,पोर्ट और संचार ) के निर्माण में लगी कंपनियों, टेक्सटाइल, फूड प्रोसेसिंग, ऑयरन, स्टील, इंजीनियरिंग, केमिकल,वाहन निर्माण और पेट्रोलियम सेक्टर कंपनियों की ओर हुआ है।
सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को ही बैंकों ने 33 फीसदी से अधिक का इंक्रीमेंटल क्रेडिट दिया है जो पिछले साल 21 फीसदी रही थी। कृषि क्षेत्र को इस नॉन-फूड बैंक क्रेडिट प्रसार का नौ फीसदी हिस्सा मिला जबकि पिछले साल इसी समय के दौरान कृषि क्षेत्र को 12 फीसदी नॉन-फूड बैंक क्रेडिट जारी हुआ था।