दरों के नरम पड़ने के साथ ही बैंक अब उद्योग जगत को दिए जाने वाले छोटी अवधि के ऋणों पर ब्याज दरों के पुनर्निर्धारण की कवायद में जुट गए हैं।
पिछले एक महीनों के दौरान बैंक अपने पूर्व की दरों के मुकाबले दरों में 200 आधार अंकों की कटौती की है। पिछले साल सितंबर 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट के गहराने के बाद बैंक कुछ कंपनियों को तो 15 फीसदी की ऊंची दरों पर ऋण मुहैया करा रहे थे।
लेकिन जनवरी के बाद सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के सम्मिलित प्रयासों के बाद ब्याज दरों में कमी आनी शुरू हो गई है। बैंकरों का कहना है कि इस समय 10-11 फीसदी की दर पर कर्ज दिया जा रहा है।
एक बड़े आवासीय कंपनी के प्रमुख ने कहा कि पिछले एक महीने के दौरान फंडों के इन्क्रीमेंटल खर्च में काफी कमी दर्ज की गई है, जबकि बैंकरों ने अगले महीने कर्ज की दरों को 10 फीसदी के स्तर पर लाने के संकेत दिए हैं। ब्याज की दरों में कटौती के लिए बैंकर हाल में ही उधारी और जमा दरों में की गई कटौती को जिम्मेदार मान रहे हैं।
इस बाबत बैंक ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक टी एस नारायणस्वामी ने कहा कि छोटी अवधि के कर्ज की दरों में कटौती के पीछे दो कारण है। बकौल नारायणस्वामी, पहला कारण यह है कि उधारी दरों में काफी कमी आई है, जबकि दूसरी वजह यह है कि वित्तीय प्रणाली में पहले की अपेक्षा अब ज्यादा नकदी उपलब्ध हैं, इस लिहाज से फंडों के बेकार पड़े रहने से बेहतर है कि इसका इस्तेमाल अपेक्षाकृत कम दरों पर कर्ज देने में किया जाए।
सिर्फ सरकारी बैंक ही नहीं बल्कि निजी क्षेत्र और विदेशी बैंक भी कर्ज की दरों में कटौती कर रहे हैं, हालांकि ये बैंक कटौती केवल बड़े उद्योग समूहों के लिए ही कर रहे हैं। भारत में कारोबार कर रहे एक विदेशी बैंक प्रमुख ने कहा कि पिछले चार से छह सप्ताहों के दौरान विभिन्न तरह की कर्ज की दरों में 150 आधार अंक (डेढ़ प्रतिशत) तक की कमी की गई है।
बैंकरों ने इस बात की ओर संकेत दिया कि उद्योग जगत को मिल रहे कर्ज की रफ्तार तेज हुई है क्योंकि कुछ खास क्षेत्रों के प्रति नजरिये में काफी बदलाव आया है। मुंबई स्थित एक सरकारी बैंक के एक सूत्र के अनुसार कुछ ऐसे खास क्षेत्र हैं जहां पर चीजों में तेजी से सुधार हो रहा है।
बकौल सूत्र, मिसाल के तौर पर रियल एस्टेट डेवलपरों द्वारा कीमतों के कम करने के बाद आवासीय कर्ज की रफ्तार में भी तेजी आई है।
