बैंकों के लिए चालू खातों और बचत खातों (कासा) के माध्यम से कम लागत पर जमा आकर्षित करने का दौर अब ब्याज दर के चक्र में बदलाव के साथ खत्म हो गया है। तमाम बैंकों की कुल जमा में कासा की हिस्सेदारी या तो स्थिर बनी हुई है, या सितंबर 2022 को समाप्त तिमाही में कम हो गई है।
निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी बैंक की कुल जमा में कासा की हिस्सेदारी सितंबर 2022 में घटकर 45.4 प्रतिशत रह गई है, जो जून 2022 में 45.8 प्रतिशत और एक साल पहले 46.8 प्रतिशत थी। सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े बैंक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की कुल जमा में कासा की हिस्सेदारी सितंबर 2022 में 35.63 प्रतिशत रह गई है, जो जून 2022 में 36.19 प्रतिशत और सितंबर 2021 में 37.16 प्रतिशत थी।
देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की भी जमा भी स्थिति अलग नहीं है। सितंबर 2021 में कासा की हिस्सेदारी 46.24 प्रतिशत थी, जो जून 2022 में 45.33 प्रतिशत रह गई है। बढ़ी महंगाई, नीतिगत दर में सख्ती और व्यवस्था में अतिरिक्त नकदी न होने की स्थिति में अब बैंक सस्ता धन पाने के लिए संघर्ष कर रहा है। एसबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ग्राहक अब अपने धन की बचत कर रहे हैं और निवेश के बारे में फैसला करने के पहले बहुत सोच-विचार रहे हैं।
बैंक ने पिछले सप्ताह 10 करोड़ रुपये और इससे ज्यादा बचत खाते में जमा रखने पर ब्याज दरों में 30 आधार अंक की बढ़ोतरी की है। अब इतनी राशि पर 3 प्रतिशत ब्याज दिया जा रहा है, जो निजी क्षेत्र के 3 बैंकों एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और ऐक्सिस बैंक के बराबर है। जमाकर्ताओं ने अपने धन का एक हिस्सा बचत खाते से निकालकर अलग रखा है।
बैंक ऑफ महाराष्ट्र के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी एएस राजीव ने कहा कि जमा दरों में बढ़ोतरी के साथ बचत खातों में से कुछ धन सावधि जमाओं में गया है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव नियंत्रण में है और बैंक 55 प्रतिशत का स्तर बनाए रखने में सक्षम होगा, क्योंकि वित्तीय समावेशन से इसमें मदद मिली है। बैंक की कुल जमा में कासा की हिस्सेदारी सितंबर 2022 में थोड़ी बढ़कर 56.27 प्रतिशत हो गई है, जो जून 2022 में 56.08 प्रतिशत और एक साल पहले 53.91 प्रतिशत थी।
बैंकरों के लिए जमा में कासा की हिस्सेदारी बढ़ाना चुनौती बन गया है। कासा की चुनौती को लेकर येस बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी प्रशांत कुमार ने कहा कि एक निश्चित आंकड़ा देना कठिन है, पर बैंक इसकी हिस्सेदारी सुधारने की कवायद करेगा।
