बैंकिंग क्षेत्र ऐसे समय में मजबूती के साथ उभरा है जब शेष भारतीय उद्योग जगत ने वित्त वर्ष 2023 में आय में नरमी दर्ज की है। सूचीबद्ध सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों का संयुक्त शुद्ध लाभ पिछले वित्त वर्ष सालाना आधार पर 39.4 प्रतिशत तक बढ़ गया था और भारत की सकल मूल्य वृद्धि (GVA) या सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में इनकी भागीदारी एक साल पहले के 0.8 प्रति से बढ़कर करीब 1 प्रतिशत की नई ऊंचाई पर पहुंच गई।
सूचीबद्ध बैंकों का संयुक्त शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 2023 में बढ़कर 2.36 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो एक साल पहले 1.69 लाख करोड़ रुपये पर था। तुलनात्मक तौर पर, मौजूदा समय में भारत की जीवीए सालाना आधार पर 15.2 प्रतिशत बढ़कर 247 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है, जो एक साल पहले 214 लाख करोड़ रुपये के आसपास थी। GVA अर्थव्यवस्था में तैयार सभी सामान एवं सेवाओं की वैल्यू होती है, जिसमें सब्सिडी और जीएसटी जैसे अप्रत्यक्ष कर शामिल नहीं होते। सब्सिडी का कुल अप्रत्यक्ष कर संग्रह (tax collection) वित्त वर्ष 2023 में एक साल पहले की तुलना में 22.9 प्रतिशत तक बढ़ गया, जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था में वस्तु एवं सेवाओं के उत्पादन के मुकाबले बाजार कीमत पर जीडीपी में ज्यादा तेजी आई।
2022-23 में बैंकों की आय में भारी तेजी को ब्याज आय में तेज वृद्धि से मदद मिली थी। हमारे नमूने में शामिल बैंकों की संयुक्त सकल ब्याज आय वित्त वर्ष 2023 में सालाना आधार पर 22.1 प्रतिशत तक बढ़कर 14.1 लाख करोड़ रुपये हो गई, जो एक साल पहले 11.55 लाख करोड़ रुपये थी। इसकी वजह से, बैंकों की ब्याज आय वित्त वर्ष 2023 में देश की जीवीए के 5.7 प्रतिशत के बराबर रही, जो पिछले सात वर्षों (वित्त वर्ष 2021 को छोड़कर) में सर्वाधिक है। वित्त वर्ष 2021 में मौजूदा भाव पर जीवीए कोविड-19 महामारी और देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से 1 प्रतिशत तक घट गई थी।
बैंकों को खासकर व्यक्तिगत ऋणों दो अंक की वृद्धि, और पिछले साल उधारी दरों में तेजी का लाभ मिला। बाद में बैंकों को ऋणों पर ज्यादा ब्याज वसूलने की अनुमति मिली, जिससे उनकी ब्याज आय और आय में मजबूती आई।
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बैंकों के मुनाफे को एनपीए से संबंधित उनके प्रावधान खर्च में दो अंक तक की कमी से भी मदद मिली। NPA के लिए बैंकों का संयुक्त प्रावधान खर्च वित्त वर्ष 2023 में एक साल पहले के मुकाबले 18.2 प्रतिशत घटकर 1.37 लाख करोड़ रुपये रह गया, जो वित्त वर्ष 2025 के बाद से सबसे कम है।
वित्त वर्ष 2023 में बैकों की सकल ब्याज आय में प्रावधान और अन्य आकस्मिक खर्च का महज 7.6 प्रतिशत योगदान रहा, जो एक साल पहले 11.1 प्रतिशत था।
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कई विश्लेषकों को वित्त वर्ष 2024 में शेष भारतीय उद्योग जगत की तुलना में बैंकों की आय तेज गति से बरकरार रहने का अनुमान है।