कारोबार की एक निश्चित रफ्तार को दर्शाते हुए बैंक ऋण 19 नवंबर, 2021 को समाप्त 12 महीनों की अवधि में 6.97 फीसदी बढ़ा है। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों से सामने आई है।
वाणिज्यिक बैंकों का बकाया ऋण 111.62 लाख करोड़ रुपये है जो साल भर पहले 104.34 लाख करोड़ रुपये था। 20 नवंबर, 2020 को सालाना आधार पर अग्रिमों में वृद्घि 5.8 फीसदी रही।
क्रमिक आधार पर, पिछले पखवाड़े (15 नवंबर, 2021) को सालाना आधार पर ऋण वृद्घि 7.1 फीसदी रही। उक्त पखवाड़े में ऋण वृद्घि सपाट रही। इस अवधि में महज 1,157 करोड़ रुपये जुड़े।
बैंकरों ने कहा कि त्योहारी सीजन (दशहरा और दिवाली) के उच्च स्तर के बाद पहला पखवाड़ा था। इसके बावजदू ऋण लेने की दर में स्थिरता नजर आई। आर्थिक वृद्घि के अलावा निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा पिछले एक महीने में शाखा नेटवर्कों पर ऋण की पहुंच ने लय को बरकरार रखने में मदद की।
बहरहाल, रेटिंग एजेंसी केयर ने एक वक्तव्य में कहा कि वित्त वर्ष 2022 में ऋण वृद्घि 7.5 फीसदी से 8 फीसदी के बीच रहने की उम्मीद है। आर्थिक विस्तार, सरकार से गारंटीकृत आपात ऋण सहायता जिसे 31 मार्च, 2022 तक के लिए बढ़ा दिया गया, कम ब्याज दरों, त्योहारी सीजन और कम आधार प्रभाव से वृद्घि को मजबूती मिल रही है।
साथ ही, क्षेत्र की मध्यावधि संभावनाएं समाप्त हुए कॉर्पोरेट दबाव और बैंकों द्वारा प्रावधान के स्तरों को बढ़ाने से बेहतर नजर आ रही है। अक्टूबर 2021 में ऋण वृद्घि सालाना आधार पर 5.1 फीसदी से सुधरकर 6.8 फीसदी पर पहुंच गई थी। इस साल सितंबर और अगस्त में यह 6.7 फीसदी रही थी।
उद्योग और सेवा खंडों के मुकाबले खुदरा ऋण खंड के बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है। हालांकि, कोरोनावायरस का नया स्वरूप वैश्विक रिकवरी के सबसे बड़ा खतरा बनकर सामने आ गया है। केयर ने कहा कि यदि स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन उपायों को जारी रखा जाता है तो कोविड-19 महामारी के कारण होने वाला ऋण नुकसान बढ़ सकता है और बदला हुआ खपत प्रारूप कुछ निश्चित क्षेत्रों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।
12 महीनों के दौरान जमाएं 9.8 फीसदी बढ़कर 157.79 लाख करोड़ पर पहुंच गई। जमा वृद्घि की रफ्तार 20 नवंबर, 2020 के 10.9 फीसदी के मुकाबले थोड़ी धीमी हुई है।
