पिछले हफ्ते केंद्र सरकार ने तय किया था कि वह रुपे डेबिट कार्ड से होने वाले लेनदेन या 2,000 रुपये से कम का लेनदेन यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के जरिये करने पर प्रत्येक लेनदेन का कुछ प्रतिशत बैंकों और फिनटेक कंपनियों को देकर प्रोत्साहित करेगी।
भारत में लेनदेन के दो तरीकों पर तेजी से नजर डालने पर पता चलता है कि देश में प्वाइंट ऑफ सेल मशीन (पीओएस) पर रुपे कार्ड का इस्तेमाल, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों पर और यूपीआई लेनदेन के लिए रुपे कार्ड के इस्तेमाल का औसत मूल्य 2,000 रुपये से कम पर बना हुआ है।
महामारी के दौरान देश में यूपीआई लेनदेन की संख्या में चार गुना का इजाफा हुआ था। महामारी से पूर्व यूपीआई लेनदेन की जो संख्या 1 अरब प्रति महीने थी वह अब 4 अरब प्रति महीने हो चुकी है। लेनदेन का मूल्य करीब 2 लाख करोड़ रुपये प्रति महीने से बढ़कर अब 8 लाख करोड़ रुपये प्रति महीने हो चुकी है। लेकिन इस सबके बीच प्रति यूपीआई लेनदेन का औसत मूल्य स्थायी बना हुआ है और इसमें महामारी से पूर्व की अवधि के मुकाबले वास्तव में इजाफा नहीं हुआ है। हालांकि, इस दौरान काफी संख्या में नए उपयोगकर्ता जुड़े हैं। अप्रैल 2020 में जब महामारी अपने चरम पर थी, के मुकाबले नवंबर 2021 में एक औसत यूपीआई लेनदेन का मूल्य 21 फीसदी अधिक है। हालांकि, अप्रैल 2019 के मुकाबले वृद्घि 1 फीसदी पर स्थिर है।
पीओएस मशीनों पर रुपे कार्डों के लिए लेनदेन का औसत मूल्य नवंबर 2021 में 1,834 रुपये था जो कि लॉकडाउन की अवधि के मुकाबले 38 फीसदी अधिक है और महामारी शुरू होने से एक वर्ष पूर्व अप्रैल 2019 के मुकाबले 22 फीसदी अधिक है।
ई-कॉमर्स साइटों पर रुपे कार्डों के इस्तेमाल के लिए लेनदेन का औसत मूल्य किसी भी दो संदर्भ अवधि में 65 से 70 फीसदी बढ़ा है। हालांकि हाल में इसमें गिरावट दर्ज की गई। अप्रैल 2021 में यह 2,000 रुपये था जो नवंबर में घटकर 1,400 रुपये रहा गया।
