बंधन बैंक के लगभग 7,000 करोड़ रुपये फंसे कर्ज की बिक्री को लेकर संपत्ति पुनर्गठन कंपनियां (एआरसी) आकर्षित हुई हैं, जो निजी क्षेत्र के बैंक द्वारा इस तरह की सबसे बड़ी बिक्री में से एक है। उद्योग के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि माइक्रोफाइनैंस पोर्टफोलियो में बड़ी संख्या में खातों और क्षेत्र में मौजूदा दबाव को देखते हुए एआरसी के लिए यह सही कीमत पर अच्छी खरीद हो सकती है।
सूत्रों ने कहा कि आमतौर पर बड़े माइक्रोफाइनैंस पोर्टफोलियो में एक डॉलर की बिक्री 10 सेंट से कम में होती है। एक बड़े एआरसी के प्रमुख ने कहा, ‘उद्योग की ओर से कुछ दिलचस्पी है।’ उन्होंने कहा कि कंपनी ने रुचि दिखाई है, लेकिन इसे खरीदना या नहीं खरीदना उसकी कीमत पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि इसके ज्यादातर पोर्टफोलियो में लाखों खाते शामिल हैं, इसलिए उनकी उचित जांच करना मुश्किल है, और वसूली भी मुश्किल है। एक अन्य एआरसी के प्रमुख ने कहा, ‘एआरसी इसकी पोर्टफोलियो की उचित जांच कर रहे होंगे। इसमें कीमत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि ऐसे पोर्टफोलियो में वसूली कम होती है।’ इस एआरसी ने पहले भी कुछ एमएफआई पोर्टफोलियो का अधिग्रहण किया है।
कोलकाता के निजी क्षेत्र के ऋणदाता बंधन बैंक ने गुरुवार को एक्सचेंजों को सूचित किया कि वह संपत्ति पुनर्गठन कंपनियों (एआरसी) और अन्य अनुमत संस्थाओं को 6,931.31 करोड़ रुपये के असुरक्षित खुदरा फंसे कर्ज बेचेगा, जिसमें राइट-ऑफ खाते भी शामिल हैं। यह बैंक द्वारा सबसे बड़े खुदरा ऋण बिक्री की कवायदों में से एक है। इनमें से फंसा हुआ अधिकांश ऋण, सूक्ष्म ऋण पोर्टफोलियो से है।
बैंक अपनी गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) पोर्टफोलियो की बिक्री के लिए स्विस चैलेंज पद्धति के अनुसार बोली लगाएगा। इन खातों का 30 सितंबर, 2025 तक 3,212.17 करोड़ रुपये मूल बकाया है, जिसमें 180 दिनों से अधिक समय से कोई भुगतान नहीं हुआ है। इसके अलावा बैंक अपने राइट-ऑफ लोन पोर्टफोलियो की बिक्री के लिए नीलामी का विकल्प चुनेगा, जिसमें 30 सितंबर, 2025 तक 3,719.14 करोड़ रुपये का मूल बकाया है।
बैंकों और माइक्रोफाइनैंस संस्थानों (एमएफआई) में माइक्रोफाइनैंस सेगमेंट कई तिमाहियों से बहुत ज्यादा दबाव से जूझ रहा है। इससे इनकी परिसंपत्ति की गुणवत्ता में भारी गिरावट आई है। यह दबाव अनियंत्रित तरीके से कर्ज देने और एक ही व्यक्ति को कई ऋण देने की वजह से आया है। इसकी वजह से ओवर लिवरेजिंग हुई है। हालांकि अब स्थिति सामान्य होने के शुरुआती संकेत दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि ऋणदाता इस पर ध्यान दे रहे हैं और स्व-नियामक निकायों ने सख्त सुरक्षा उपाय लागू किए हैं।
अन्य ऋणदाता भी अपना खराब कर्ज हटा रहे हैं। पिछले साल दिसंबर में इंडसइंड बैंक ने 10 लाख से अधिक खातों में फंसा 1,573 करोड़ रुपये फंसा कर्ज बेचा था। उज्जीवन स्माल फाइनैंस बैंक (एसएफबी) ने भी कई चरणों में माइक्रोफाइनैंस पोर्टफोलियो का कुछ फंसा कर्ज बेचा है। वहीं कुछ अन्य छोटे फाइनैंस बैंकों ने भी सेक्टर पर दबाव को देखते हुए इस तरह का लेनदेन किया है।