किसी परिसमापक को प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पीएसीएस) की संपत्ति, दावों, बहीखाते, रिकॉर्ड और दस्तावेज को कब्जे में लेने के बाद परिसमापन यानी किसी कंपनी का वैधानिक अस्तित्व समाप्त करने की प्रक्रिया 15 दिन में पूरी करनी चाहिए। परिसमापन के लिए हालिया मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में यह बात कही गई है।
केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कुछ दिन पहले मानक संचालन प्रक्रिया जारी करने के दौरान चिंता जताते हुए कहा था कि राज्य के सहकारी विभागों के अधिकारियों को संबंधित राज्य सहकारी समिति अधिनियम के मानदंड के अनुसार निष्क्रिय पड़े पीएसीएस को चिह्नित करने में सात दिन से अधिक समय नहीं लेना चाहिए। निष्क्रिय पीएसीएस और वृहद क्षेत्र की बहुउद्देशीय समितियों (एलएएमपीएस) के परिसमापन के लिए सभी राज्य सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार को मानक संचालन प्रक्रिया हाल में जारी की गई थी और उन्हें यथोचित संशोधन कर अपनाने की सलाह दी गई थी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने खुलासा किया, ‘इससे निष्क्रिय पीएसीएस और एलएएमपीएस का परिसमापन 31 मार्च, 2025 तक पूरा हो जाएगा।’ एलएएमपीएस या वृहद क्षेत्र की बहुउद्देशीय समितियां ऐसी सहकारी समितियां होती हैं जिनका गठन सरकार ने जनजाति क्षेत्रों के विकास और पहाड़ी क्षेत्रों के निवासियों के लिए किया है।
एक बार निष्क्रिय पीएसीएस का परिसमापन होने पर उनकी जगह नई समितियां आ जाएंगी। इससे अगले पांच वर्ष में 2 लाख नई सक्रिय प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों को स्थापित करने का लक्ष्य शीघ्र हासिल किया जा सकेगा। अभी भारत में करीब 1.05 लाख पीएसीएस हैं और इनमें से सिर्फ 65,000 सक्रिय हैं।
इन नए 2 लाख नए पीएसीएस के लक्ष्य को हासिल करने के लिए नाबार्ड पहले चरण में 22,750 व दूसरे चरण में 47,250 समितियों की स्थापना करेगा। राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) पहले चरण में 56,500 पीएसीएस की स्थापना करेगा और 46,500 पुराने पीएसीएस को फिर से सक्रिय करेगा। इसके अलावा राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड पहले चरण में 6,000 नई समितियां बनाएं और मौजूदा 5,500 पीएसीएस को फिर से सक्रिय करेगा।
देश में त्रिस्तरीय सहकारी ऋण ढांचे में पीएसीएस सबसे निचला स्तर है और 13 करोड़ से अधिक किसान इसके सदस्य हैं।
बीते कुछ वर्षों के आंकड़े के अनुसार देश में सभी इकाइयों से दिए गए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) ऋण में पीएसीएस की हिस्सेदारी 41 फीसदी (3.01 करोड़ किसान) है। पीएसीएस ने 95 फीसदी किसान क्रेडिट कार्ड ऋण लघु और सीमांत किसानों को दिए थे।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने साल 2022 में 63,000 पीएसीएस की कंप्यूटिंग के लिए 2,516 करोड़ रुपये से अधिक के महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम को मंजूरी दी थी।