वित्त मंत्रालय अगले सप्ताह तक ही संभावित बोलीकर्ताओं को आईडीबीआई बैंक के निजी डेटा रूम तक पहुंच दे सकता है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि यह पहुंच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से तीन दावेदारों के योग्य और उचित ( फिट ऐंड प्रॉपर) होने की मंजूरी मिलने के बाद दी जा सकती है।
यह मंजूरी मिलने के बाद संभावित बोलीदाताओं को बैंक के बारे में पूरी वित्तीय सूचना मिलेगी और वे जांच-पड़ताल कर सौदे के बारे में व्यापक रूप से विचार कर सकेंगे। निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडे ने बीते सप्ताह बिज़नेस स्टैंडर्ड को एक साक्षात्कार में बताया था कि इस वित्त वर्ष की समाप्ति से पहले आईडीबीई बैंक के लिए वित्तीय बोलियां मंगाई जा सकती हैं।
उन्होंने कहा था, ‘इसके अलावा यह इस पर भी निर्भर करता है कि संभावित बोली लगाने वाले इस पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं। हमारे पास इस वित्तीय वर्ष से पहले बोलियां होनी चाहिए।’
सरकार ने वित्त वर्ष 17 के केंद्रीय बजट में ही घोषणा की थी कि वह आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी 50 फीसदी से कम करने की इच्छुक है और अक्टूबर 2022 तक रुचि पत्र के लिए प्राथमिक सूचना ज्ञापन पेश किया गया।
इस रणनीतिक हिस्सेदारी बिक्री को सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में अपनी हिस्सेदारी कम करने के लिए एक परीक्षण मामले की तरह देखा जा रहा है। सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम की आईडीबीआई बैंक में अपनी 60.72
फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना है। दरअसल 31 दिसंबर, 2023 तक आईडीबीआई बैंक में एलआईसी की हिस्सेदारी 49.24 फीसदी और सरकार की हिस्सेदारी 45.48 फीसदी थी। विनिवेश के लिए नोडल विभाग दीपम ही है। आईडीबीआई की इस प्रस्तावित हिस्सेदारी की बिक्री और प्रबंधन नियंत्रण हस्तांतरण में कई पक्षों ने दीपम के समक्ष अपनी रुचि दिखाई हैं।