घर-परिवारों पर वैश्विक महामारी कोविड-19 के असर को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में उधारकर्ताओं को सोने के ऐवज में ऋण के रूप में अधिक राशि प्राप्त करने की अनुमति प्रदान की है। सोने के कर्ज पर ऋण-मूल्य अनुपात (एलटीवी) में इजाफा करते हुए ऐसा किया गया है। शीर्ष बैंक ने गैर-कृषि उद्देश्य के लिए स्वर्णाभूषण गिरवी रखकर दिए जाने वाले कर्ज के एलटीवी को 75 प्रतिशत से बढ़ाकर 90 प्रतिशत करने का फैसला किया है। अगर आपके पास एक लाख रुपये मूल्य का सोना है, तो अब आप कर्ज के तौर पर 75,000 रुपये की पूर्व सीमा के बजाय 90,000 रुपये प्राप्त कर सकेंगे। यह राहत 31 मार्च, 2021 तक प्रभावी रहेगी। इंडियन बैंक की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी पद्मजा चंद्रू कहती हैं, ‘इससे छोटे कारोबारों, सूक्ष्म और लघु इकाइयों को मदद मिलेगी जिन्होंने कारोबारों की जरूरत के लिए स्वर्ण ऋण लिया है।’ हालांकि मौजूदा चुनौतीपूर्ण समय को ध्यान में रखते हुए यह एक उचित कदम है, लेकिन उधार लेने वालों और उधार देने वालों, दोनों के लिए ही यह दोधारी तलवार साबित हो सकता है। पिछले कुछेक महीनों के दौरान सोने के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच चुके हैं। एमसीएक्स पर 7 अगस्त को सोने का वायदा भाव 56,065 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच गया था। विशेषज्ञों का मानना ??है कि सोने के दामों में अंतत: गिरावट का रुख आएगा। उस मामले में ऐसे ऋणों का अंधाधुंध उपयोग लोगों के लिए परेशानी पैदा कर सकता है। फिनसेफ इंडिया की संस्थापक मरिन अग्रवाल कहती हैं, ‘सोने की कीमतों में संशोधन के मामले में सोने के कर्ज का एलटीवी अनुपात 90 प्रतिशत से अधिक हो सकता है। उस हालात में उधारकर्ता को बढ़ी हुई राशि जमा करनी होगी।’ उसे ऋणदाता के पास जमानत के तौर पर अधिक सोना गिरवी रखने, नकद राशि का भुगतान करने या चेक देने ही जरूरत होगी। अगर ऋण लेने वाला ऐसा करने में विफल रहता है, तो ऋणदाता जमानत के तौर पर पहले से गिरवी रखे सोने को बेच या नीलाम कर सकता है। सोने के मौजूदा कर्जदारों के लिए, जहां एलटीवी 75 प्रतिशत है, एलटीवी की यह बढ़ी हुई सीमा वरदान साबित हो सकती है। पैसाबाजार.कॉम के सह-संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी नवीन कुकरेजा का कहना है कि 90 प्रतिशत की बढ़ी हुई एलटीवी निकट भविष्य में सोने के दामों में तेज गिरावट की स्थिति में सोने के मौजूदा कर्जदारों को राहत प्रदान कर सकती है। हालांकि आरबीआई ने बैंकों द्वारा दिए जाने वाले स्वर्ण ऋण के एलटीवी अनुपात पर विनियामकीय सीमा बढ़ा दी है, लेकिन वे स्वर्ण ऋण की अपनी एलटीवी अनुपात की सीमा निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र होंगे जो उनकी जोखिम की जरूरत, स्वर्ण ऋण के मूल्य में उतार-चढ़ाव और प्रत्येक कर्ज लेने वालों के ऋण जोखिम मूल्यांकन पर निर्भर करेगी।
सुरक्षित होने की वजह से यह ऋण प्राप्त करना अपेक्षाकृत आसान होता है। कोई भी 75 वर्ष से कम आयु वाला भारतीय वयस्क इस स्वर्ण ऋण का लाभ उठा सकता है। इस ऋण की उपलब्धता सेवा, व्यवसाय या आय जैसे कारकों से मुक्त रहती है। लेकिन स्वर्ण ऋण के सभी आवेदकों को 90 प्रतिशत का एलटीवी अनुपात नहीं मिल सकता है। भले ही आपके पास कोई नौकरी हो या आपकी कर्ज साख बहुत अच्छी हो, तो भी शायद आपको 90 प्रतिशत का एलटीवी न मिल पाए क्योंकि इस संबंध में ऋणदाता के नजरिये का भी असर पड़ता है। पद्मजा कहती हैं कि सोने के बढ़ते दामों के परिदृश्य में 90 प्रतिशत का एलटीवी सही है। हालांकि हमें मार्जिन पर भी नजर रखनी चाहिए क्योंकि 10 प्रतिशत का सहारा कम है। जिन उधारकर्ताओं के पास अतिरिक्त संसाधन नहीं हैं, उनके लिए इस ऊंची एलटीवी का उपयोग करना संभवत: उचित न हो। मरिन का कहना है कि एलटीवी में इस अतिरिक्त 15 प्रतिशत के इजाफे के कारण निश्चित रूप से आपकी ब्याज लागत बढ़ जाएगी। एलटीवी पर 90 प्रतिशत की सीमा का उपयोग करना सही विचार नहीं है। इसका निचले स्तर पर होना बेहतर होगा।
