‘एक बात मैं बड़ी विनम्रता के साथ कहता हूं कि अपने लिए कुछ मांगने जाने से बेहतर मैं मरना समझूंगा।’ मध्य प्रदेश में सबसे लंबे समय (लगभग 17 वर्ष) तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान मंगलवार को संवाददाताओं के साथ बातचीत में यह बात कहते हुए लगभग साफ कर दिया कि उनका दिल्ली जाने का कोई इरादा नहीं है।
हालिया विधानसभा चुनाव भी उनके मुख्यमंत्री रहते हुए लड़े गए और चुनाव के तुरंत बाद जब प्रदेश में मुख्यमंत्री के चयन को लेकर अटकलों का बाजार गर्म था तभी उन्होंने प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में मिशन 29 का ऐलान करके अपने इरादे जता दिए थे। मिशन 29 के तहत प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य तय किया गया है।
उल्लेखनीय है कि विश्लेषकों द्वारा हालिया विधानसभा चुनावों में पार्टी के शानदार प्रदर्शन (230 में से 163 सीटों पर जीत) का श्रेय शिवराज सिंह चौहान की फ्लैगशिप योजना लाड़ली बहना और चुनाव प्रचार में उनकी मेहनत को दिया जा रहा है।
सोमवार को विधायक दल की बैठक में मोहन यादव को नया मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद से ही शिवराज सिंह चौहान के राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है। कयास यह भी लगाया जा रहा है कि मई 2024 तक संगठन का काम सौंपने के बाद उन्हें केंद्र में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।
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एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘चौहान पुरानी शैली के राजनेता हैं जो किसी उम्मीद में नहीं बल्कि अपनी विचारधारा के प्रति लगाव के कारण राजनीति में हैं। यही वजह है कि किसी भी मौके पर उन्होंने बगावती तेवर नहीं दिखाये। आगे भी पार्टी उन्हें जो जिम्मेदारी देगी वह उसे निभाएंगे। फिलहाल जो चौंकाने वाला सिलसिला चल रहा है उसके चलते कोई अनुमान लगाना फिजूल है। हो सकता है पार्टी उन्हें अगले लोकसभा चुनाव में लड़ने को कहे। यह भी संभव है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उनका चयन किया जाए।’
शिवराज सिंह चौहान चार बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और वह पांच बार सांसद रह चुके हैं। ऐसे में अनुमान यही है कि आगामी लोकसभा चुनाव में वह प्रदेश में पार्टी के प्रमुख शिल्पकार होंगे।