प्राचीन मंदिरों के कारण छोटी काशी के नाम से भी पहचाने जाने वाले मंडी शहर में जैसे ही आप पहुंचेंगे दो राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के बड़े-बड़े होर्डिंग से आपका स्वागत किया जाएगा। एक तरफ 37 साल की फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत की होर्डिंग लगी है, जो इस बार लोक सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर राजनीतिक जीवन की शुरुआत कर रही हैं।
दूसरी ओर, हिमाचल प्रदेश के 34 वर्षीय पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह हैं, जो छह बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के बेटे हैं। इस हाई प्रोफाइल चुनाव ने देश भर के लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
साल 2014 और 2019 के आम चुनावों में भाजपा ने हिमाचल प्रदेश की चारों सीटों पर जीत दर्ज की थी। मगर साल 2021 में मंडी के सांसद रामस्वरूप शर्मा के निधन के बाद हुए उपचुनाव में विक्रमादित्य की मां प्रतिभा सिंह ने 7,000 वोटों के अंतर से इस सीट पर जीत दर्ज की। साल 2019 में शर्मा ने इसी सीट पर 4 लाख मतों के अंतर जीत दर्ज की थी।
भाजपा ने जब मंडी लोक सभा सीट से कंगना रनौत को अपना उम्मीदवार बनाया तब प्रतिभा ने अपने बेटे के लिए चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया। भौगोलिक दृष्टि से मंडी हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा निर्वाचन क्षेत्र है। यहां चीन तक फैले काफी ऊंचाई वाले पहाड़ी इलाके और निचली घाटियां हैं।
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के बीच द्विध्रुवीय मुकाबले में राजनीति बदलते रहने का इतिहास रहा है। यह झारखंड को छोड़कर उत्तर भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां कांग्रेस सत्ता में है। झारखंड में कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा के गठबंधन वाली सरकार का हिस्सा है।
मंडी में भाजपा के कट्टर समर्थकों को भी ऐसा लगता है कि कंगना को जीतने के लिए अपनी सेलेब्रिटी दर्जे से ज्यादा भरोसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रभाव पर करना चाहिए। एक दुकानदार पंकज सूद ने कहा, ‘अगर कंगना जीतती हैं तो वह निश्चित तौर पर मोदी लहर में जीतेंगी। नहीं तो वह राजनीति के बारे में जानती ही क्या हैं?’ एक अन्य दुकानदार प्रकाश ने कहा, ‘ मुझे नहीं पता कि कौन प्रत्याशी बेहतर है मगर मैं यह कहूंगा कि कंगना वापस मुंबई चली जाएंगी। दूसरी ओर, विक्रमादित्य के यहीं रहने की उम्मीद है।’
हालांकि नतीजा जो भी हो, लेकिन कुछ स्थानीय लोगों को ऐसा लगता है कि यह बेहद करीबी मुकाबला होगा। स्थानीय लोगों का कहना है, ‘जीत का अंतर महज कुछ हजार वोटों का होगा। अगर विक्रमादित्य के अलावा कोई अन्य प्रत्याशी होता तो कंगना आसानी से जीत जातीं। वह बेदाग, बेलौस, मिलनसार और एक अच्छे वक्ता हैं। राजा साहेब के बेटे के होने के कारण लोगों को उनसे सहानुभूति भी है। लोग कंगना को सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर वोट देंगे। इससे बेहतर होता कि भाजपा किसी और को टिकट देती।’