संसद के दोनों सदनों लोक सभा (Lok Sabha) और राज्य सभा (Rajya Sabha) में बहुमत से पीछे होने के कारण भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए विवादित विधेयकों को पारित कराना कठिन हो सकता है।
विशेषकर, उन विधेयकों को आगे बढ़ाने में पार्टी को भारी मशक्कत करनी पड़ सकती है जिनके लिए संविधान में संशोधन की जरूरत होगी। पार्टी अपने सहयोगी दलों और विपक्ष के सहयोग के बिना ऐसे विधेयकों पर कदम आगे नहीं बढ़ा सकती।
इन विधयेकों में ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ का प्रस्ताव भी शामिल है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक समिति ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया था कि सरकार को ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ के विषय पर आगे बढ़ने के लिए कानूनी ढांचा विकसित करना होगा। समिति ने यह लक्ष्य हासिल करने के लिए कुल 18 संविधान संशोधनों का सुझाव दिया। समिति ने इस वर्ष 14 मार्च को अपनी रिपोर्ट सौपी थी।
समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर जनता दल यूनाइटेड एवं अन्य सहयोगियों ने सरकार को सभी संबंधित पक्षों के साथ विचार-विमर्श करने का सुझाव दिया। इसके अलावा विद्युत संशोधन विधेयक भी विचाराधीन है और इसे पारित कराने के लिए सरकार को विपक्ष और ऐसे दलों से सहयोग लेना होगा जो राजग या इंडिया दोनों में किसी का भी हिस्सा नहीं हैं।
राज्य सभा में भाजपा की अगुआई वाले राजग को उन सात राजनीतिक दलों पर निर्भर रहना होगा जिनके पास राज्य सभा में कुल 32 सांसद हैं। इनमें वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (11 सांसद), बीजू जनता दल (9 सांसद), भारत राष्ट्र समिति (5 सांसद), एआईएडीएमके (4 सांसद), बहुजन समाज पार्टी (1 सांसद) और पूर्वोत्तर के कई छोटे दल हैं।
इनमें बीजेडी, बीआरएस, एआईएडीएमके और बसपा का लोक सभा में प्रतिनिधित्व नहीं रह गया है जबकि वाईएसआरसीपी के चार सदस्य हैं। राज्य सभा में भाजपा के 97 सदस्य हैं मगर इसके तीन सदस्य अब इस्तीफा देंगे क्योंकि वे लोक सभा के लिए निर्वाचित हुए हैं।
इनमें केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, पीयूष गोयल और सर्वानंद सोनोवाल हैं। गोयल के लोक सभा में आने से भाजपा को राज्य सभा में अपना नेता चुनना होगा। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा राज्य सभा के सदस्य हैं।
गोयल, सिंधिया और सोनोवाल के राज्य सभा से इस्तीफा देने के बाद भाजपा की संथ्या कम होकर 94 और राजग की 106 रह जाएगी। कांग्रेस की अगुवाई वाले इंडिया के राज्य सभा में 88 सांसद हैं।