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Electoral Bonds: राजनीतिक पार्टियों को ‘हैसियत’ के हिसाब से मिला चंदा

वर्ष 2019 में जहां चंदे की इस धनराशि का 52 प्रतिशत बड़े मूल्य वर्ग के चुनावी बॉन्ड से आया था, वर्ष 2024 में यह आंकड़ा बढ़कर 90.9 प्रतिशत पहुंच गया।

Last Updated- March 15, 2024 | 10:13 PM IST
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राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में दिए जाने वाले चुनावी बॉन्ड का मूल्य पार्टियों के हिसाब से अलग-अलग होता है। सत्ताधारी और क्षेत्रीय दलों को अधिक मूल्य वर्ग के चुनावी बॉन्ड सबसे ज्यादा प्राप्त हुए हैं, लेकिन केंद्र की सत्ता से बाहर दल को कम मूल्य वर्ग के बॉन्ड मिले।

निर्वाचन आयोग द्वारा गुरुवार को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से चंदे के रूप में सबसे अधिक 6060 करोड़ रुपये की धनराशि मिली। विशेष यह कि इस चंदे में सबसे अधिक धनराशि बड़े मूल्य वर्ग के बॉन्ड (हाल के प्रत्येक वर्ष में 1 करोड़ रुपये) के माध्यम से आई।

वर्ष 2019 में जहां चंदे की इस धनराशि का 52 प्रतिशत बड़े मूल्य वर्ग के चुनावी बॉन्ड से आया था, वर्ष 2024 में यह आंकड़ा बढ़कर 90.9 प्रतिशत पहुंच गया।

क्षेत्रीय दलों को मिले चंदे का रुझान भी इसी तरह दिखता है। इन दलों को 2019 में 5221.3 करोड़ रुपये चंदे के रूप में मिले थे। इनमें उच्च मूल्य वर्ग के चुनावी बॉन्ड से आई रकम का हिस्सा 26.7 प्रतिशत रहा था। इसमें चुनावी बॉन्ड से अधिकांश राशि हाल के वर्षों में आई। इस माध्यम से पिछले पांच साल में मिली रकम का औसत 66 प्रतिशत था।

केंद्र में सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस को बड़े स्तर पर 10 लाख रुपये या इससे कम के बॉन्ड के माध्यम से चंदा मिला। पार्टी को 2019 से अब तक कुल 1421.9 करोड़ रुपये का चंदा मिला। पिछले पांच साल में कांग्रेस को मिले कुल चंदे का औसतन 64.9 प्रतिशत चुनावी बॉन्ड के माध्यम से आया।

First Published - March 15, 2024 | 10:13 PM IST

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