खाद्य और ईंधन उच्च मुद्रास्फीति ने देश के थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति को नवंबर में रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंचा दिया। इससे इस बात की आशंका बन गई है कि आगामी महीनों में खुदरा महंगाई भी उच्च स्तर पर पहुंच सकती है।
उद्योग विभाग की तरफ से आज जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति नवंबर में एक दशक से ज्यादा के उच्चतम स्तर 14.23 फीसदी पर पहुंच गई। एक महीने पहले यह 12.54 फीसदी के स्तर पर थी। ऐसा खाद्य मुद्रास्फीति के 4.88 फीसदी पर पहुंचने और ईंधन महंगाई उच्च पेट्रोलियम कीमतों के मुकाबले 39.81 फीसदी पर पहुंचने के कारण हुआ है। अप्रैल से लगातार आठवें महीने थोक मुद्रास्फीति 10 फीसदी के ऊपर बनी हुई है।
नवंबर महीने में कच्चे तेल के दाम 91.74 फीसदी बढ़े, जबकि अक्टूबर में इस खंड में महंगाई दर 80.57 फीसदी थी। हालांकि, विनिर्मित वस्तुओं की मुद्रास्फीति नवंबर में घटकर 11.92 फीसदी रह गई जिससे संकेत मिलता है कि हो सकता है कि उत्पादक कीमत में उछाल का एक हिस्सा इनपुट लागत में जोड़ रहे हों। खाद्य वस्तुओं में एक वर्ष पहले के मुकाबले फलों की कीमतों में 15.5 फीसदी और प्रोटीन की प्रचुरता वाली वस्तुओं जैसे कि अंडा, दूध और मछली आदि के दामों में 9.66 फीसदी की तेज वृद्घि देखी गई। उतार-चढ़ाव वाली खाद्य और ईंधन वस्तुओं को छोड़कर प्रमुख महंगाई नवंबर में 12.3 फीसदी के नए उच्च स्तर पर पहुंच गई।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचना एक झटके की तरह है विशेष कर अधिक गैर-प्रमुख श्रेणियों में मुद्रास्फीति की दर उम्मीद से काफी ऊंची है। उन्होंने कहा, ‘सब्जियों की कीमत में बेमौसम तेजी के साथ साथ अंडा, मांस और मछली के दामों में वृद्घि तथा मसालों के दाम में आई तेजी ने प्राथमिक खाद्य मुद्रास्फीति को नवंबर महीने में 4.9 फीसदी के साथ 13 महीनों के उच्च स्तर पर पहुंचा दिया जिसमें एक महीने पहले 1.7 फीसदी की अवस्फीति दर्ज की गई थी। निचले आधार प्रभाव से चालू हीने में प्राथमिक खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति दर में और वृद्धि होने की संभावना है। हालांकि, विभिन्न खाद्य पदार्थों की कीमतों में क्रमिक आधार पर गिरावट का अनुमान है।’
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘सरकार ने थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई के लिए प्रतिकूल आधार को जिम्मेदार ठहराया। मद्रास्फीति का उच्च आंकड़ा मुख्य तौर पर नवंबर, 2020 के आंकड़ों के मुकाबले कम आधार प्रभाव के कारण है। ईंधन और बिजली ने उच्च महंगाई दर में सबसे अधिक योगदान दिया।’
